भोपाल
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अब नए विवाद में घिर गए हैं। राधारानी का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उनका एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसके बाद संतों में आक्रोश है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने गोस्वामी तुलसीदास को गंवार कहा है। हालांकि इस वीडियो की पुष्टि नहीं करते है। वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया आने लगी है। इसे लेकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने क्या कहा
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पंडित प्रदीप मिश्रा कह रहे हैं कि हमें कुछ नहीं आता है, हम तो तुलसीदास जैसे गंवार हैं। केवल शिव का नाम ले लेते हैं और आपके सामने बैठ जाते हैं। हमको तो ये भी नहीं मालूम है, हमें कुछ नहीं आता है। 12 सेकंड का यही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि ये वीडियो कब का है और कहां का है, यह साफ नहीं हो पाया है। पूरे प्रकरण पर पंडित प्रदीप मिश्रा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
संतों में आक्रोश
वीडियो वायरल होने के बाद प्रदीप मिश्रा को लेकर संतों में आक्रोश है। देश भर के संतों ने इसे लेकर नाराजगी व्यक्त की है। टीवी चैनल पर एक संत कार्ष्णि नागेंद्र ने कहा कि सनातन धर्म को लेकर बहुत अनर्गल प्रलाप चल रहे हैं। यह कतई उचित नहीं है। व्यास पीठ सनातन धर्म की सर्वोच्च पीठ है, वहां से ऐसी बातें शोभा नहीं देती है। तुलसीदास जी महाराज परमज्ञानी हुए। वह महाविद्वान नहीं थे। ऐसे महापुरुषों को गंवार कहना अनुचित है।
इसके साथ ही एक टीवी चैनल से बात करते हुए त्रिशुला बाबा ने कहा कि तुलसीदास को गंवार कहना अनुचित है। नाम शंकर का लेते हो और जहर उगलते हो। सनातन को स्थापित करने वालों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते हो। त्रिशुला बाबा ने कहा कि सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वाले कथावाचक प्रदीप मिश्रा का बहिष्कार करो।
उनके पैर के बराबर भी नहीं
वहीं, एक संत ने और कहा कि खुद की तुलना गोस्वामी तुलसीदास से करने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा उनके पैर के धुल के कण के बराबर नहीं हैं। तुलसीदास से तुलना पर इनको शर्म आनी चाहिए।
प्रेमानंद महाराज भी लगा चुके हैं लताड़
गौरतलब है कि तुलसीदास से पंडित प्रदीप मिश्रा राधारानी पर भी टिप्पणी कर चुके हैं। राधारानी विवाद को लेकर वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज जी ने भी प्रदीप मिश्रा को काफी लताड़ लगाई थी। इसके बाद उन्होंने माफी मांगी थी। बाद में एमपी सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दोनों के बीच सुलह कराई थी।