मुंबई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों को वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसे एडवांस और उभरती हुई टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए। वित्तीय लचीलेपन पर वैश्विक कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एडवांस और उभरती हुए टेक्नोलॉजी जैसे एआई, एमएल और बिग डेटा एनालिटिक्स को अपनाकर आसानी से वित्तीय संस्था के काम में बदलाव लाया जा सकता है।
एआई और एमएल पूर्वानुमानित विश्लेषण को बढ़ा सकते हैं और इससे बैंक एवं एनबीएफसी कंपनी आसानी से संभावित जोखिम के खतरे को जान पाएंगे। इन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आसानी से असामान्य पैटर्न और लेनदेन की पहचान कर पाएंगे। इससे वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों को भी वित्तीय धोखाधड़ी के खतरे से बचा पाएंगे।
दास ने आगे कहा कि वित्तीय सेक्टर में डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है। एडवांस टेक्नोलॉजी बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों को और मजबूत बना सकती है। हालांकि, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि टेक्नोलॉजी सुरक्षित और विश्वसनीय हो। संस्था के उद्देश्यों के साथ मेल खाती हो।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमने महसूस किया है कि ऑटोमेशन के जरिए दैनिक कार्यों को आसानी से बिना इंसानी गलती के किया जा सकता है। रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (आपीए) आसानी से हाई-वॉल्यूम काम और लेनदेन का प्रोसेस इंसानों के मुकाबले अधिक कुशलता के साथ संभाल सकता है।
गवर्नर ने कहा कि बैंकों और एनबीएफसी के लिए ग्रोथ काफी जरूरी है, लेकिन ये कभी भी बहुत बड़े जोखिम की कीमत पर नहीं आनी चाहिए। साथ ही कहा कि लंबी अवधि में सफलता के लिए जोखिम को कम रखना काफी जरूरी है, जिससे एक अच्छा वित्तीय सिस्टम हम बना पाएं। दास ने कहा कि वित्तीय संस्थानों को प्रशासन में नैतिकता का महत्व देना चाहिए, जिसमें कानूनों और विनियमों का अनुपालन शामिल हो।