रियाद
हज 2024 के दौरान 1000 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। इसमें 90 भारतीय भी शामिल हैं। मौतों का कारण भीषण गर्मी को माना जा रहा है। मक्का लगातार भीषण गर्मी से जूझ रहा है। यहां तापमान 51 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है, जिससे हजारों लोगों का हीटस्ट्रोक का इलाज भी किया जा रहा है। मरने वालों में अभी तक सबसे ज्यादा लोग मिस्र के हैं। अब कई देशों के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हज के दौरान मरने वाले ज्यादातर लोग ऐसे थे, जो यात्रा से महीनों पहले टूरिस्ट वीजा या यात्रा वीजा के जरिए सऊदी अरब में आए थे।
ये लोग मक्का में रहे और बिना उचित परमिट के हज किया। ट्यूनीशियाई विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसके ज्यादातर नागरिक जिनकी मौत हुई है वह टूरिज्म, विजिट या उमरा वीजा के जरिए सऊदी अरब पहुंचे थे। उनके पास आधिकारिक हज परमिट नहीं था। वे आवास, भोजन या परिवहन जैसी जरूरी सेवा प्रदान करने वाले किसी भी संगठित समूह से जुड़े नहीं थे। इसी तरह जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि जॉर्डन के जो भी लोग मारे गए या लापता हुए हैं वह आधिकारिक हज प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं थे।
लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ा
जॉर्डन ने आगे कहा, 'वे औपचारिक हज प्राधिकरण प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए, पर्यटन या यात्रा वीजा पर सऊदी अरब में गए थे।' हज के दौरान इस साल मक्का में अत्यधिक गर्मी पड़ी, जिससे ऐसे लोग जो बिना परमिट के हैं उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आधिकारिक तीर्थयात्रियों को कई तरह की सहाता मिलती है। लेकिन इन लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। कई लोगों ने चिलचिलाती धूप में पैदल ही लंबी दूरी तय की। ऊबड़-खाबड़ और कच्चे रास्तों को पार किया, जो पैदल चलने वालों के लिए उपयुक्त नहीं थे।
तापमान हुआ जानलेवा
मरने वालों में बड़ी संख्या बुजुर्गों की है। आश्रय और भोजन की कमी ने थकावट और गर्मी से जुड़ी अन्य बीमारियों का जोखिम बढ़ा दिया। समर्थन के अभाव में ये तीर्थयात्री कठोर वातावरण के प्रति असुरक्षित हो गए, जिससे कई मौतें हुईं। परिवार और दोस्त बुधवार को भी लापता हज यात्रियों की तलाश करते रहे। सोमवार को मक्का में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस साल हज के लिए 18 लाख लोग सऊदी अरब पहुंचे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मरने वालों 600 लोग मिस्र के हैं।