भोपाल
मध्य प्रदेश के नर्सिंग घोटाले में एक पूर्व अधिकारी पर गाज गिरी है। सरकार ने मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउसिंल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को नौकरी से निकाल (बर्खास्त) दिया है। शिजू वर्तमान में चिकित्सा महाविद्यालय दतिया में स्टाफ नर्स के पद पर कार्यरत थीं, लेकिन जब वे नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार थीं, तब इस घोटाले को अंजाम दिया था। सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया है।
नर्सिंग काउंसिल में पदस्थ रहने के दौरान विभिन्न अयोग्य नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की जांच में मिले तथ्यों के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। पदीय कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन न करने के आधार पर उनकी बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया है। आपको बता दें कि सुनीता शिजू रजिस्ट्रार के पद पर 22 सितंबर 2021 से 24 अगस्त 2022 तक पदस्थ थीं।
गौरतलब है कि चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल की अधिष्ठाता ने 20 जुलाई 2023 को आरोप पत्र और 4 अगस्त 2023 को अतिरिक्त आरोप पत्र जारी किया था। जिसकी गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल ने विभागीय जांच की। जांच में पाया गया कि सुनीता शिजू ने गंभीर अनियमितताएं की हैं, जो अत्यंत गंभीर कदाचरण श्रेणी की पाई गईं। ऐसे में शिजू की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है। बता दें कि जुलाई 2023 में नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार स्टेला पीटर को हटाया गया था। जबकि काउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को दतिया मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर कर दिया गया था।
डीन ने माना कि शिजू के उक्त कृत्य के कारण प्रदेश में कई नर्सिंग संस्थाओं की गलत मान्यतायें जारी करने से प्रवेशरत छात्र-छात्राओं का भविष्य संकटपूर्ण हुआ तथा प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था कीं छवि धूमिल हुई। उक्त के दृष्टिगत शिजू की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।
क्या है नर्सिंग घोटाला
मध्य प्रदेश में वर्ष 2020 में यह बात सामने आई थी कि राज्य नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी है जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से संबद्ध नहीं थे। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इस पर कोर्ट ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी।
सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद लगा कि शायद बड़े खुलासे होंगे, लेकिन जांच अफसर ही रिश्वत लेकर कॉलेजों को क्लीन चिट वाला प्रमाण पत्र देने लगे। इसके बाद केंद्रीय सीबीआई की टीम ने अपने ही अफसरों को घूस लेते पकड़ा। इसके बाद दो इंस्पेक्टर को भी बर्खास्त किया गया था।