नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जुलाई में कजाखस्तान दौरा टल सकता है। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 जुलाई को कजाखस्तान के अस्ताना में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाएंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री एससीओ समित में नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं। हालांकि माना जा रहा है कि चुनाव के बाद पहला संसद सत्र 3 जुलाई तक चलेगा। इस कारण मोदी इस बार इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे।
इस सम्मेलन में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के पहली बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बातचीत के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी आमने-सामने होने की उम्मीद थी। दोनों देशों के साथ संबंधों की स्थिति को देखते हुए मोदी शायद जिनपिंग और शाहबाज के साथ किसी भी तरह की बातचीत से दूरी ही बनाना चाहेंगे। हालांकि, भारत ने पहले भी कहा है कि वह इस क्षेत्र की शांति, स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एससीओ को बहुत महत्व देता है।
एससीओ की अपनी पूर्ण सदस्यता के बावजूद, भारत समूह में सबसे अलग थलग बना हुआ है। इसका कारण यह है कि भारत इस समूह में इकलौता ऐसा देश है जो चीन के बीआरआई का समर्थन नहीं करता। भारत ने एससीओ मंच का उपयोग सदस्यों, खास तौर से पाकिस्तान और चीन को बार-बार यह याद दिलाने के लिए किया है कि समूह का एक मुख्य लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है और सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए।
एससीओ यानी संघाई कोऑपरेटिव आर्गेनाइजेशन एक अंतर-सहकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। 2001 में बनाए गए इस समूह में 9 देश शामिल हैं, जिनमें भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत को 2017 में इसकी पूर्ण सदस्यता मिली थी। पिछले साल नई दिल्ली में भारत ने एससीओ के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।