पिछले 10 साल के ‘अघोषित आपातकाल’ को भूल गए प्रधानमंत्री मोदी: खरगे
प्रधानमंत्री के ‘देश के नाम संदेश’ में कुछ नया नहीं था, भटकाने वाली बातें थी : कांग्रेस
संविधान की प्रति लेकर संसद पहुंचे विपक्षी सांसद
नई दिल्ली
। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 साल पहले के आपातकाल का जिक्र किया, लेकिन पिछले 10 वर्षों के उस ‘अघोषित आपातकाल’ को भूल गए जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश को उम्मीद थी कि संसद सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नीट एवं अन्य परीक्षओं में ‘पेपर लीक’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने मौन साध लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर लगा ‘काला धब्बा’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी यह संकल्प लें कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करे। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के अवसर पर संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी जी अपने रस्मी संबोधन में आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। नीट व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे। ’’
खरगे ने दावा किया, ‘‘मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहां गए और ना ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महँगाई हो, रुपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला हो- अगली जनगणना लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखी है, जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी बिलकुल चुप थे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया।’’
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि लोगों ने मोदी जी के ख़िलाफ़ जनमत दिया है, इसके बावजूद अगर वो प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए।
खरगे ने कहा, ‘‘विपक्ष व ‘इंडिया जनबंधन’ संसद में सहमति चाहता है, हम जनता की आवाज़ सदन, सड़क और सभी के समक्ष उठाते रहेंगे। हम संविधान की रक्षा करेंगे। लोकतंत्र ज़िंदाबाद!’’
प्रधानमंत्री के ‘देश के नाम संदेश’ में कुछ नया नहीं था, भटकाने वाली बातें थी : कांग्रेस
कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद से बाहर ‘देश के नाम संदेश” दिया और उन्होंने सिर्फ विषय से ध्यान भटकाने वाली बातें कीं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ’18वीं लोकसभा का कार्यकाल शुरू हो रहा है। इस अवसर पर जैसा कि सामान्य रूप से होता है, लोकसभा चुनाव में ज़बरदस्त व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करने वाले नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर ‘देश के नाम संदेश’ दिया।’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कुछ भी नया नहीं कहा। हमेशा की तरह उन्होंने विषय से ध्यान भटकाने वाली बातें कहीं। उनकी बातों से ऐसा लगा ही नहीं कि वह सही मायने में जनादेश का अर्थ समझ रहे हैं – वह वाराणसी में भी संदिग्ध एवं संकीर्ण अंतर से जीते हैं। ‘
रमेश ने कहा कि वह किसी भी तरह के भ्रम में न रहें क्योंकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) उनसे पूरे कार्यकाल का हिसाब लेगा।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री पूरी तरह से बेनक़ाब हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन, सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि देश की जनता विपक्ष से संसद की गरिमा बनाए रखने की उम्मीद करती है ना कि ‘नखरे, ड्रामा, नारेबाजी और व्यवधान’ की। उन्होंने कहा कि देश को एक अच्छे और जिम्मेदार विपक्ष की आवश्यकता है।
मोदी ने सभी नवनिर्वाचित सांसदों से इस सत्र का उपयोग जनहित में करने का आह्वान भी किया। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में तीन गुना अधिक काम करेगी।
संविधान की प्रति लेकर संसद पहुंचे विपक्षी सांसद
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) के कई घटक दलों के नेता 18वीं लोकसभा की बैठक के पहले दिन सोमवार को संविधान की प्रति लेकर संसद पहुंचे और कहा कि वे संविधान की रक्षा करेंगे।
कांग्रेस के अलावा द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने ‘संविधान की रक्षा हम करेंगे’ और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विपक्षी सांसदों की नारेबाजी का वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘हम लोकतंत्र के प्रहरी हैं। हम संविधान की रक्षा करने और उसे कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अन्याय के खिलाफ लड़ने के अपने संकल्प में एकजुट हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आशीर्वाद लेकर और संसद में लोगों के मुद्दों, चुनौतियों, आशाओं और आकांक्षाओं को आवाज देने और सरकार को हर मिनट नियंत्रण में रखने के नए संकल्प के साथ 18वीं लोकसभा में प्रवेश करता है।
हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने संविधान को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उनका आरोप था कि भाजपा संविधान बदलना चाहती है।