श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर को विश्व शिल्प परिषद द्वारा आधिकारिक तौर पर ‘विश्व शिल्प नगरी’ का दर्जा दिया गया है। यहां एक अधिकारिक प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी।
प्रवक्ता ने बताया कि श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प नगरी’ का दर्जा मिलने से हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इससे यहां के पर्यटन और बुनियादी ढ़ांचे के विकास को लाभ मिलेगा।
प्रवक्ता ने रविवार शाम को कहा, ‘यह प्रतिष्ठित सम्मान शहर की समृद्ध विरासत और इसके कारीगरों के असाधारण कौशल को दर्शाता है। इन कारीगरों के समर्पण और कला ने विश्व में प्रसिद्धी और पहचान पाई है।’
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि श्रीनगर को मिला यह सम्मान यहां के कारीगरों की कड़ी मेहनत और असाधारण प्रतिभा का प्रमाण है तथा यह श्रीनगर की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने कारीगरों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही हमें यह सुनिश्चित करना है कि यह सम्मान समुदाय के लिए लाभ में परिवर्तित हो।’
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के लिए दृढ़ समर्थन दिखाया है।
प्रवक्ता ने कहा कि ‘विश्व शिल्प नगरी’ के रूप में मान्यता मिलने से हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र पर काफी गहरा और परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा, जिससे विकास, स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि वैश्विक मान्यता बढ़ने से श्रीनगर के शिल्प की अंतरराष्ट्रीय मंच पर महत्ता बढ़ेगी, जिससे कारीगरों के लिए नए बाजार और नए अवसर खुलेंगे।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अधिक निवेश आने की संभावना है, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास में मदद मिलेगी और पारंपरिक तरीकों को संरक्षित रखते हुए आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा सकेगा।
श्रीनगर को मिले इस नए दर्जे से यहां पर्यटन को भी काफी लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रवक्ता ने कहा कि शहर में सांस्कृतिक और शिल्प विरासत में रुचि रखने वाले अधिक पर्यटक आएंगे।