बीजिंग
चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से यानी फारसाइड से सैंपल धरती पर लाने वाला चीन दुनिया का पहला देश बन चुका है. चांद से सैंपल लाने का कमाल चीन दूसरी बार कर चुका है. चीन के चांगई-6 स्पेसक्राफ्ट ने इनर मंगोलिया में सुरक्षित लैंडिंग की. इसके बाद चीन के वैज्ञानिकों ने सैंपल को अपने कब्जे में लिया और उसे हेलिकॉप्टर से लैब ले गए.
4 जून 2024 को चीन के स्पेसक्राफ्ट में लगे एसेंडर ने चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से से सैंपल लेकर धरती की ओर उड़ान भर दी थी. उसे चीन तक पहुंचने में 21 दिन की यात्रा करनी पड़ी. एसेंडर यानी वह यंत्र जो चांद की सतह से वापस उसकी कक्षा में आया है. अब वहां से सैंपल लेकर धरती की तरफ आ रहा है.
चीन की स्पेस एजेंसी CNSA ने कहा कि इस यान के पिछले महीने लॉन्च किया गया था. जो 2 जून 2024 को चांद की फारसाइड पर उतरा था. यानी अंधेरे वाले हिस्से में. इस लैंडिंग के साथ ही चीन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था, जिसने दो बार चांद के अंधेरे वाले हिस्से में लैंडिंग कराई थी. अब तो वहां से सैंपल भी उठा लाया.
बढ़ गया चीन का स्पेस पावर स्टेट्स
चीन का दुनिया भर में स्पेस पावर स्टेट्स बढ़ गया है. अमेरिका चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स भेजना चाहता है. चंद्रमा पर अपना बेस बनाना चाहता है. लेकिन संभावना ये है कि अमेरिका और अन्य देशों की तुलना में चीन ये काम कहीं पहले न कर ले.
गड्ढों से भरे इलाके में उतरा था यान
चीन का चांगई-6 यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एटकेन बेसिन में उतरा है. यह उल्कापिंड की टक्कर से बना चंद्रमा का विशालकाय इम्पैक्ट क्रेटर है. इस मिशन में काफी ज्यादा इनोवेशन किए गए हैं. कई तरह की दिक्कतें आई हैं. चांगई-6 में गए सभी पेलोड्स पहले से तय काम ही करेंगे.
आसान नहीं था ये चीन का ये मिशन
चांद के अंधेरे वाले हिस्से में ज्यादा गहरे, बड़े क्रेटर हैं. उस तरफ से कम्यूनिकेशन करना भी आसान नहीं है. इसलिए किसी भी मिशन के फेल होने की आशंका ज्यादा रहती है. मिशन पर आपका नियंत्रण नहीं होता. मिशन को पूरी तरह से ऑटोमैटिक मोड पर रहता है. स्पेसक्राफ्ट अपने इंटेलिजेंस और ऑनबोर्ड कंप्यूटर में लोडेड प्रोग्राम के हिसाब से ही काम करता है.