रियाद
सऊदी अरब में हाल ही में खत्म हुई हज यात्रा के दौरान 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। भीषण गर्मी को इन मौतों की वजह माना गया है। मरने वालों में उन हाजियों की संख्या ज्यादा है, जो रजिस्टर्ड नहीं थे। यानी वो सऊदी सरकार की ओर से तय नियमों के परे जाते हुए हज में शामिल हुए थे। हज यात्रा शुरू होने से पहले हज के ग्रांड मुफ्ती ने बिना परमिट हज को नाजायज कहा था तो सऊदी सरकार ने गैरपंजीकृत हाजियों की गिरफ्तारी होने पर जुर्माना, जेल की सजा और देश निकाला जैसी सजा का ऐलान किया था। इस सबके बावजूद बड़ी संख्या में बिना रजिस्ट्रेशन के ही हाजियों के मक्का आने की बात सामने आई है तो सवाल उठ रहा है कि आखिर लोग ऐसा करने पर क्यों मजबूर होते हैं।
सीएनएन ने बिना रजिस्ट्रेश के हज के लिए गए लोगों पर एक रिपोर्ट की है। सीएनएन ने मिस्र से बिना परमिट हज पर आए 81 वर्षीय अब्देलजहर अब्दो सलेम के बेटे बेटे महमूद से बात की। महमूद बताते हैं कि हज पर जाना पिता की आखिरी इच्छा थी लेकिन पैसे की कमी के कारण वह नहीं जा पाए। आधिकारिक चैनलों के माध्यम से हज का खर्च बिना हवाई टिकटों के ही 1,50,000 मिस्र पाउंड (3,091 अमेरिकी डॉलर) था। ऐसे में सलेम ने 1,00,000 मिस्र पाउंड के खर्च पर हज के लिए बिना लाइसेंस वाली कंपनी का सहारा लिया लेकिन सलेम मिस्र वापस नहीं लौट सके। वह उन 1,300 से अधिक हाजियों में से एक थे, जिनकी इस वर्ष हज के दौरान सऊदी अरब में भीषण गर्मी के चलते मौत हो गई।
खर्च है बिना परमिट हाजियों के आने का सबसे बड़ा कारण
इस साल हज के दौरान हुई मौतों ने लोगों को अनाधिकृत तरीके से हज के लिए लाने वाले एजेंटों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। ये एजेंट आधिकारिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करके, तीर्थयात्रियों को संभावित खतरनाक यात्राओं पर ले जाकर, अपने धार्मिक दायित्वों को पूरा करने की मुसलमानों की इच्छा से लाभ उठाते हैं। विजिटर वीजा रखने वाले लोगों को ये हज कराते हैं। विजिटर वीजा मक्का में प्रवेश पर रोक लगाता है, इसलिए इस शहर में पहुंचने के लिए एजेंट लोगों को रेगिस्तानी रास्ते से पैदल ले जाते हैं।
हर साल सऊदी अधिकारी तीर्थयात्रियों के लिए मक्का तक कानूनी पहुंच की अनुमति देने वाले लाइसेंस जारी करते हैं। ये लाइसेंस हाजियों को वातानुकूलित परिवहन और आवास सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं। इन लाइसेंस की संख्या सीमित है और हाजियों को इसके लिए काफी खर्च करना होता है। प्रत्येक देश को उसकी मुस्लिम आबादी के अनुपात में लाइसेंस अलॉट होते हैं। इस प्रक्रिया में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जो लाइसेंस का खर्च वहन नहीं कर सकते या आवंटन में शामिल नहीं हैं।
काबा देखने की चाह में अपनाते हैं गैरकानूनी रास्ते
मुसलमान हज यात्रा को काफी अहमियत देते हैं और इसके लिए अपने पूरे जीवन पैसा बचाते हैं। इसके बावजूद लाखों लोग तब निराश हो जाते हैं जब वे आधिकारिक चैनलों के माध्यम से अपना स्थान सुरक्षित नहीं कर पाते या पर्याप्त पैसा नहीं जुटा पाते। इसने ट्रैवल एजेंसियों के एक आकर्षक उद्योग को जन्म दिया है जो तीर्थयात्रियों को अनौपचारिक रूप से सऊदी अरब लाने का वादा करता है। मिस्र के लोगों की मौतें इस साल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। मिस्र से लाइसेंस प्राप्त एजेंसी के हज पैकेज का खर्च 4,760 अमेरिकी डॉलर है, जबकि अनधिकृत यात्राओं की लागत लगभग 3,700 डॉलर है। गरीब लोगों के लिए ये बड़ी रकम है।
बिना परमिट हज पर जाने वाले मुस्लिमों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। सऊदी समाचार आउटलेट अल शार्क अल अव्सत ने कहा है कि इस साल 141,000 ऐसे तीर्थयात्रियों को हज के मौसम के दौरान मुफ्त चिकित्सा उपचार प्राप्त हुआ, जो रजिस्टर नहीं थे। यह इस वर्ष के 1.8 मिलियन तीर्थयात्रियों का लगभग 8 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि ये तादाद काफी बड़ी होती है।