मध्यप्रदेश

लिवर ट्रांसप्लांट मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने अंगदान की दी अनुमति

इंदौर

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नाबालिग बेटी की गुहार को स्वीकारते हुए उसे बीमार पिता को अपने एक हिस्सा (अंगदान) देने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पूरी सावधानी बरतते हुए जल्द से जल्द ऑपरेशन किया जाना चाहिए। कोर्ट से अनुमति मिलने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती पिता और बेटी को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए निगरानी में ले लिया गया।

नाबालिग के जीवन को कोई संकट न हो
गुरुवार सुबह 10.30 बजे न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य आयुक्त ने भी अपनी रिपोर्ट में नाबालिग को लिवर देने के लिए पूरी तरह से फिट बताया है। ये दोनों रिपोर्ट कोर्ट रिकार्ड में उपलब्ध हैं। इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कुछ तकनीकी समस्या के चलते उनके सिस्टम में ऑनलाइन दस्तावेज नहीं खुल रहे हैं, लेकिन वे इस याचिका को स्वीकारते हुए नाबालिग को लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति दे रहे हैं। ट्रांसप्लांट में पूरी सावधानी बरती जाए और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि नाबालिग के जीवन को कोई संकट न हो। अस्पातल जल्द से जल्द सर्जरी करे।

छह वर्ष से लिवर की गंभीर बीमारी
बेटमा निवासी 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम करीब छह वर्ष से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने करीब दो माह पहले उनसे कह दिया था कि उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ेगा। इसके अलावा कोई अन्य उपचार नहीं है।शिवनारायण की बड़ी बेटी प्रीति पिता को अपना लिवर देने को तैयार भी हो गई, लेकिन समस्या यह थी कि उसकी आयु 17 वर्ष 10 माह है और कानूनन एक नाबालिग अपना लिवर दान नहीं कर सकती थी। कोर्ट की अनुमति के बगैर डाक्टरों ने भी लिवर ट्रांसप्लांट से इनकार कर दिया। इस पर स्वजन ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

लिवर देने के लिए पूरी तरह से समक्ष और योग्य
कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वे नाबालिग की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या वह लिवर का कुछ हिस्सा देने के लिए पूरी तरह से फिट है। मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त दोनों की रिपोर्ट में नाबालिग बेटी को लिवर देने के लिए पूरी तरह से समक्ष और योग्य बताया गया। इसके बाद गुरुवार सुबह 10.30 बजे हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए नाबालिग को अपने लिवर का कुछ हिस्सा पिता को देने की अनुमति दे दी। कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद से ही एमजीएम कॉलेज ने भी अपनी तैयारी शुरू कर ली है।

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