वाशिंगटन
अमेरिका की भारत से दोस्ती कई बार समझ से परे नजर आती है। एक तरफ अमेरिका भारत के साथ हर बड़े क्षेत्र में रिश्ते मजबूत करने की बात करता है और दूसरी तरफ भारत पर उंगली उठाने और देश के घरेलू मामलों में दखल देने से गुरेज नहीं करता है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि में धर्मांतरण विरोधी कानूनों, नफरत फैलाने वाले भाषणों और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों व प्रार्थना स्थलों को ध्वस्त करने के मामलों में ‘‘चिंताजनक वृद्धि'' हुई है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट जारी करने के मौके पर ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि दुनियाभर में लोग धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने 2023 में भारत के अपने समकक्षों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों के बारे में लगातार चिंताएं व्यक्त कीं। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भारत में हमने धर्मांतरण रोधी कानूनों, नफरत फैलाने वाले भाषण, धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के मकानों व प्रार्थना स्थलों को ध्वस्त करने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी है। इसके साथ ही दुनियाभर के लोग धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं।'' भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 में से 10 राज्यों में सभी धर्मों के धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून हैं। इनमें से कुछ राज्य विवाह के उद्देश्य से जबरन धर्मांतरण के खिलाफ दंड भी लगाते हैं।
भारत ने पहले भी मानवाधिकारों पर अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि यह ‘‘गलत सूचना और त्रुटिपूर्ण समझ'' पर आधारित है। विदेश मंत्रालय ने पिछले साल कहा था, ‘‘कुछ अमेरिकी अधिकारियों की पक्षपातपूर्ण टिप्पणी इन रिपोर्टों की विश्वसनीयता को और कम करने का काम करती है।'' इस वर्ष की रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि ईसाइयों और मुस्लिमों को जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया। धार्मिक समूहों का कहना है कि कुछ मामलों में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को झूठे तथा मनगढ़ंत आरोपों में प्रताड़ित किया गया तथा जेल में डाला गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के आह्वान पर विदेश विभाग ने कहा कि मुस्लिम, सिख, ईसाई और आदिवासी नेताओं तथा कुछ राज्य सरकारों के अधिकारियों ने इस आधार पर इसका विरोध किया है कि यह देश को ‘‘हिंदू राष्ट्र'' में बदलने की योजना का हिस्सा है।