इंदौर
हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद बेटी प्रीति ने अपने पिता शिवनारायण बाथम को लिवर दे दिया। शहर के निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया सफल रही। अब बेटी अपने पिता के जल्द ठीक होने की प्रार्थना कर रही है। अस्पताल में रात दो बजे तक यह सर्जरी चलती रही। इसमें पांच डॉक्टरों की टीम शामिल रही। डाक्टरों ने बताया कि इसमें करीब 12 घंटे का समय लगा। बता दें कि यह प्रदेश का पहला मामला है, जिसमें नाबालिग बेटी अपने पिता को लिवर डोनेट कर पाई है। डॉक्टर अमित बरफा ने बताया कि सर्जरी हो गई है। अभी दोनों को आईसीयू रखा गया है। पिता और बेटी दोनों स्वस्थ है। ट्रांसप्लांट के दौरान कोई परेशानी नहीं आई है। सात दिन तक पिता को आईसीयू में रखा जाएगा और तीन दिन तक बेटी को। सर्जरी में डा. अभिषेक यादव, डा. सुदेश शारदा, डा. अक्षय शर्मा, डा. गौरव और डा. अंकुश शामिल रहे।
यह है पूरा मामला
दरअसल बेटमा निवासी 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम को डाक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। वे पिछले छह वर्ष से लिवर की बीमारी से पीड़ित हैं। शिवनारायण की बेटी प्रीति अपने पिता को अपना लिवर देने को तैयार है, लेकिन उसकी आयु 17 वर्ष 10 माह होने से कोर्ट की अनुमति जरूरी थी।
कोर्ट में लगाई थी याचिका
इस पर स्वजन ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वे नाबालिग की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या वह लिवर का कुछ हिस्सा देने के लिए पूरी तरह से फिट है। मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त दोनों की रिपोर्ट में नाबालिग बेटी को लिवर देने के लिए पूरी तरह से समक्ष और योग्य बताया गया। इसके बाद गुरुवार सुबह 10.30 बजे हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए नाबालिग को अपने लिवर का कुछ हिस्सा पिता को देने की अनुमति दे दी।