हिंदू धर्म में भगवान शनि की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा शनिवार के दिन उत्तम मानी जाती है। कहा जाता है कि शनि देव कर्म के आधार पर फल प्रदान करते हैं। इसलिए हर किसी को बुरे कर्मों को करने से बचना चाहिए। आपने अक्सर सुना होगा अगर किसी के ऊपर शनि की छाया या नजर पड़ जाए।
शनि देव की शादी महाराज चित्ररथ की कन्या से हुआ था। उनकी पुत्री परम तेजस्वनी थी। वह सदैव पूजा-पाठ और भक्ति में लीन रहती थीं। एक बार वह शनि भगवान के पास संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर पहुंची, लेकिन उस दौरान छाया नंदन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में पूरी तरह से लीन थे। उन्होंने काफी बार रवि पुत्र को तपस्या से उठाने का प्रयास किया, लेकिन उनका ध्यान भंग करने में असमर्थ रहीं।
श्राप नहीं हुआ निष्फल
अपने बार-बार किए गए प्रयास में असफल देवी ने क्रोध में आकर शनि देव को यह श्राप देते हुए कहा कि 'आज के बाद जिस व्यक्ति पर आपकी नजर पड़ेगी वो व्यक्ति तबाह हो जाएगा। साथ ही उसे लाखों मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि शनि देव ने इसके लिए क्षमा मांगी, फिर भी वह श्राप निष्फल नहीं हुआ।
इसके पश्चात भगवान शनि अपना सिर नीचे करके चलने लगे, ताकि उनकी दृष्टि किसी भी भक्त पर न पड़े और उसका जीवन सही दिशा पर चलता रहे।