हैदराबाद
तेलंगाना भले ही आबादी के मामले में यूपी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से पीछे है, मगर शराब की बिक्री में यह बड़े राज्यों से आगे निकल गया है। तेलंगाना सरकार भी शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व से बम बम है। तेलंगाना ने 2024-25 में 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व वसूलने का टारगेट रखा है। 2023-24 में तेलंगाना सरकार ने 36,493 करोड़ रुपये शराब की बिक्री से कमाए थे। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार तेलंगाना की आबादी 3.51 करोड़ है। 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को पिछले फाइनेंशनल ईयर में शराब की बिक्री से से 47 हजार 600 करोड़ का राजस्व मिला था। पीने-पिलाने के लिए मशहूर पंजाब को 6,151 करोड़ रुपये के राजस्व से संतोष करना पड़ा था। पंजाब की आबादी 2.77 करोड़ है। तेलंगाना में शराब की कमाई से कर्नाटक सरकार भी प्रभावित हो गई है। 6.11 करोड़ की जनसंख्या वाले कर्नाटक सरकार ने अपने आबकारी विभाग के लिए 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए 38,525 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है।
पहले ही बन चुका है एक महीने में 4000 करोड़ के राजस्व का रेकॉर्ड
तेलंगाना शराब की बिक्री से नया रेकॉर्ड बनाने वाला है। शराब की बिक्री और शराब डीलरों से वसूले जाने वाले लाइसेंस फीस के जरिये तेलंगाना सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्तीय वर्ष में 36 हजार 493 करोड़ कमाकर तेलंगाना पहले ही रेकॉर्ड बना चुका है। 2022-23 में राज्य सरकार के खजाने में 34,145 करोड़ रुपये का राजस्व आया था। वाइन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि भले ही आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल बड़े राज्य हैं, मगर तेलंगाना में शराब की खपत अधिक है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों में जून महीने के दौरान लोगों ने काफी शराब पी और सरकार को एक महीने 3000 करोड़ रुपये का टैक्स दिया। हालांकि दिसंबर 2023 में भी शराब के शौकीनों ने सरकार की झोली में 4,297 करोड़ डाले थे, जो अभी तक एक महीने में बिक्री का रेकॉर्ड है।
शराब कंपनियों के लिए पॉलिसी बना रही है तेलंगाना सरकार
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, तेलंगाना सरकार शराब सप्लाई करने वाली कंपनियों के लिए नए सिरे से टेंडर जारी करने वाली है। इसके तहत कंपनियों को रेट लिस्ट भी देनी होगी। इससे पहले उन्हें तेलंगाना स्टेट ब्रीवरेज कॉरपोरेशन में रजिस्टर करना होगा। सरकार को कोशिश है कि तेलंगाना में शराब की कीमत पड़ोसी राज्यों के हिसाब से तय की जाए। टेंडर के दौरान ही सरकार रेट लिस्ट को मंजूरी भी देगी। फिर कंपनियों के तय रेट पर ही शराब बेचना होगा। हालांकि सरकार की पॉलिसी में संशोधन की गुंजाइश भी होगी। माना जाता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में सस्ती शराब होने के कारण तेलंगाना को राजस्व का नुकसान होता है। बता दें कि तेलंगाना में शराब कई परंपराओं से जुड़ी है, इसलिए वहां इसकी खपत अन्य राज्यों से ज्यादा है।