काबुल.
संयुक्त राष्ट्र की बैठक से पहले ही तालिबान प्रशासन भड़क गया है। दरअसल, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति (सीईडीएडब्ल्यू) ने हाल ही में अफगानिस्तान के भविष्य पर आयोजित हो रही बैठक में महिलाओं व लड़कियों को शामिल ना किए जाने पर गहरी चिंता जताई थी। अब इस पर तालिबान प्रशासन की प्रतिक्रिया आई है।
उसका कहना है कि अफगानिस्तान की महिलाओं के अधिकारों की मांग एक आंतरिक मुद्दा है। बता दें, अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान की वापसी के बाद देश में महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों पर गहरा संकट उपजा है। इसे संयुक्त राष्ट्र ने जेंडर रंगभेद के रूप में दर्शाया है। वहीं, आज कतर में शुरू होने वाली तीसरे दौर की बातचीत में तालिबान सरकार अपना पहला प्रतिनिधिमंडल भेजेगा।
इन मुद्दों की निंदा
आधिकारिक वार्ता के बाद, महिला अधिकार समूहों सहित नागरिक समाज के प्रतिनिधि मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ बैठकों में भाग लेंगे। अधिकार समूहों ने मुख्य बैठकों से अफगान महिलाओं के नहीं होने और एजेंडे में मानवाधिकारों के मुद्दों की कमी की निंदा की है।
तालिबान प्रशासन ने कही ये बात
वहीं, सरकार के प्रवक्ता और प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले जबीहुल्ला मुजाहिद ने काबुल में पत्रकारों से कहा कि तालिबान प्रशासन महिलाओं के मुद्दों को स्वीकार करते हैं। मगर यह मुद्दे अफगानिस्तान के हैं। हम अफगानिस्तान के भीतर महिलाओं से जुड़े मामले का समाधान करने के लिए एक सही रास्ता ढूंढ रहे हैं, ताकि हमारे देश को फिर से संघर्ष और हिंसा न देखना पड़े। उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार बैठकों में पूरे अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करेगी। उन्होंने आगे कहा, 'अगर अफगान कई चैनलों के माध्यम से भाग लेते हैं, तो इसका मतलब है कि हम अभी भी बिखरे हुए हैं, हमारा राष्ट्र अभी भी एकजुट नहीं है।'
बैठक में शामिल होने के लिए इस शर्त पर माने
गौरतलब है, तालिबान अधिकारियों को पिछले साल दोहा में पहली वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया था। दूसरे सम्मेलन में भाग लेने से खुद तालिबान ने इनकार कर दिया था। उन्होंने मांग रखी थी कि वे आमंत्रित नागरिक समाज समूहों के बहिष्कार के लिए एकमात्र अफगान प्रतिनिधि हों। तीसरे राउंड के लिए यह शर्त पूरी हो गई है।
कोई खास बड़ी चर्चा नहीं होगी
मुजाहिद ने दोहराया कि तालिबान सरकार सभी देशों के साथ सकारात्मक संबंध चाहती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि दोहा में कोई बड़ी या प्रमुख चर्चा नहीं होगी। यह बैठक विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर है, खासकर पश्चिमी देशों के साथ। एजेंडे में नशीले पदार्थों और आर्थिक मुद्दों से निपटना शामिल होगा। उन्होंने कहा, 'आर्थिक विकास को रोकने वालीं सभी बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए। अगर अर्थव्यवस्था ठीक होगी तो अन्य सभी मुद्दों को हल किया जा सकता है।'