सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर एम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि सुशांत की मौत जहर से नहीं हुई है. मुंबई पुलिस कमिश्ननर परमबीर सिंह ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने सही दिशा में जांच की थी.
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर एम्स ने अपनी रिपोर्ट कुछ दिन पहले सीबीआई को सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सुशांक की मौत जहर से नहीं हुई थी. हालांकि इसमें हत्या के शक को नकारा नहीं था. एम्स का कहना था कि सीबीआई इस पर कानूनी तरीके से जांच करेगी. लेकिन एम्स की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर सुशांत के परिवार, वकील और फैंस ने नाराजगी जताई है. उन्होंने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं.
इन सबके बीच मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह, मुंबई पुलिस और शिवसेना ने एम्स की इस रिपोर्ट का स्वागत किया है. मुंबई पुलिस कमिश्ननर का कहना है कि मुंबई पुलिस प्रोफेशनल तरीके से इसकी जांच कर रही थी. यह अननैचुरल डेथ केस था. उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने 60-65 दिन जांच की, ईमानदारी के साथ की. 14 जून को सुशांत की मौत हुई और उसके दूसरे दिन उनकी पापा और बहन का बयान दर्ज किया था. उन्होंने अपने बयान में ही कहा था कि यह सुसाइड है.
परिवार ने जांच में नहीं किया सहयोग
परमबीर सिंह ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा,”हमने सुशांत के परिवार को आगे की जांच के लिए बुलाया लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया. लेकिन जब-जब वह बाकी काम जैसे प्रॉपर्टी और फ्लैट रिलीज करने काम हुआ, हमने उनका सहयोग किया. और अचानक इसके 40-45 दिन बाद उन्होंने बिहार में एफआईआर दर्ज करवाई. वहां भी उन्होंने सुसाइड का ही मामला दर्ज करवाया. जिसके लिए कुछ लोग जवाबदार हैं.”
सीबीआई जांच के साथ किया सहयोग
परमबीर सिंह ने आगे कहा,”इसके बाद बिहार पुलिस हमारे कार्यक्षेत्र में ऑथोरिटी न होते हुए भी जांच शुरू की और हम पर सहयोग नहीं करने के झूठे आरोप लगाए. सहयोग तो तब करते, जब उन्हें इसकी जांच करने का अधिकार होता. सुप्रीम कोर्ट ने जब बिहार की जांच को सीबीआई को सौंपी, तब हमने उनके साथ पूरा सहयोग किया और पूरा रिपोर्ट जांच और बयान उन्हें सौंप दी.”
मुंबई पुलिस को बदनाम करने की थी साजिश
परमबीर सिंह ने आगे कहा कि एम्स रिपोर्ट ने सच सबके सामने ला दिया है. इसके साथ ही उन्होंने मीडिया के एक वर्ग की आलोचना की. इसे एक प्रोपेगेंडा बताया. उन्होंने कहा कि लोगों ने कहा कि मुंबई पुलिस एक मर्डर को छुपाने की कोशिश कर रह ही थी. मुंबई पुलिस को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर कई फर्जी अकाउंट बनाए गए. मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाए.