भारतीय वायुसेना के 88वें स्थापना दिवस वायुशक्ति की गर्जना अब राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयर बेस पर देखने को मिलेगी.भारतीय वायुसेना के 88वें स्थापना दिवस वायुशक्ति की गर्जना अब राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयर बेस पर देखने को मिलेगी.
नई दिल्ली: एलएसी पर चीन के खिलाफ अपनी ताकत का परिचय देने के बाद भारत की वायुशक्ति की गर्जना अब राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयर बेस पर देखने को मिलेगी. मौका होगा भारतीय वायुसेना के 88वें स्थापना दिवस का जो गुरूवार को मनाया जा रहा है. इस दौरान हिंडन एयरबेस पर जबरदस्त फ्लाई पास्ट देखने का मौका मिलेगा जिसमें मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा रफाल लड़ाकू विमान. मंगलवार को इस फ्लाई पास्ट की फुल ड्रेस रिहर्सल हुई.
गुरूवार को हिंडन एयरबेस पर फ्लाई पास्ट की शुरूआत ‘आकाशगंगा’ यानि आसमान से पैरा-जंप से होगी. इस पैरा-जंप में वायु-सैनिक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से पैराशूट कए जरिए जंप लगाएंगे. उसके बाद निशान-टोली के साथ वायुसैनिक मार्च पास्ट करेंगे. इसके बाद वायुसेना के हैवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर्स मी-17वी5 के हिंडन एयरबेस के ऊपर उड़ान से फ्लाई पास्ट की शुरूआत होगी.
मी-17 के बाद आएंगे हाल ही में अमेरिका से लिए हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर्स, चिनूक. चिनूक हेलीकॉप्टर्स फील्ड-गन्स यानि तोप और दूसरा हैवी सामान ले जाते हुए दिखाई पड़ेंगे. उसके बाद आएंगे सी-17 ग्लोबमास्टर और आईएल-76 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट. हिंडन एयरबेस पर भी सी-130 जे सुपर हरक्युलिस ट्रांसपोर्ट विमान स्टेटिक-डिस्पिले में दिखाई पड़ेगा. इन सभी हेलीकॉप्टर्स और मालवाहक विमानों का इस्तेमाल हाल ही में एलएसी पर चीन से चल रहे टकराव के दौरान बड़ी तादाद में सैनिकों, टैंक तोप और दूसरे सैन्य साजो सामान को बेहद तेजी से फॉरवर्ड लोकेशन पर भेजने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
सोमवार को सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने भी कहा थी कि जिस तरह से एयरफोर्स ने थलसेना के साथ मिलकर एलएसी पर अपनी एयर-लिफ्ट कैपेबिलेटी यानि क्षमता दिखाई थी उससे चीन भी भौचक्का रह गया था. चीन ने कभी नहीं सोचा था कि भारत का इतनी जल्दी एलएसी पर मूवमेंट हो सकता है.
गुरूवार को लेकिन मुख्य आकर्षण का केंद्र रफाल लड़ाकू विमान रहने वाला है. हिंडन एयरबएस के स्टेटिक डिस्पिले में भी रफाल को सबसे बीच में स्थान दिया गया है. फ्लाई पास्ट की दो फॉर्मेशन्स में भी रफाल को जगह दि गई है. पहली ही ‘विजय’ और दूसरी है ‘ट्रांसफॉर्मर’. विजय फॉर्मेशन में रफाल के साथ मिराज-2000 और जगुआर फाइटर जेट्स होंगे तो ट्रांसफॉर्मर में स्वदेशी एलसीए-तेजस और सुखोई लड़ाकू विमान होंगे. रफाल और तेजस ने फॉर्मशेन के बाद जबरदस्त एयरोबेटिक्स किया जिसे देखकर सभी ने दांतों तले उंगली दबा लीं.
आपको बता दें कि पिछले महीने ही फ्रांस से आए 05 रफाल लड़ाकू विमान अंबाला स्थित गोल्डन ऐरो स्कॉवड्रन में विधिवत रूप से शामिल हुए हैं. शामिल होने के तुरंत बाद से ही रफाल लड़ाकू विमानों को पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर ऑपरेशन्ली तैनात कर दिया गया है. इस महीने के अंत या फिर नबम्बर की शुरूआत में 3-4 रफाल विमान फ्रांस से और आ रहे हैं. वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, रफाल की पहली स्कॉवड्रन अगले साल यानि 2021 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी–एक स्कॉवड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं. पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में दूसरी स्कॉवड्रन 2023 तक बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगी. भारत ने फ्रांस से वर्ष 2016 में 36 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था (यानि दो स्कॉवड्रन).
सोमवार को वायुसेनाध्यक्ष ने कहा था कि रफाल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से भारत की युद्धक क्षमताएं काफी बढ़ गई हैं. रफाल की दोनों स्कॉवड्रन तैयार होने से चीन से सटी पूरी एलएसी पर भारतीय वायुसेना काफी मजबूत हो जाएगी.
गुरूवार को हिंडन एयरबेस पर स्वदेशी फाइटर जेट, तेजस भी रफाल के साथ आसमान में करतब करता और गर्जना भरते नजर आएगा. इसके अलावा सुखोई, मिग-29, मिराज2000 और जगुआर भी आसमान में भारत की हवाई ताकत का परिचय देंगे. इसके अलावा स्टेटिक डिस्पिले में अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, आकाश मिसाइल सिस्टम, टोही विमान अवैक्स और स्वदेशी रडार सिस्टम, रोहिणी भी हिंडन एयरबेस पर दिखाई पड़ेंगे. दर्शकों के लिए खास सारंग हेलीकॉप्टर और सूर्यकिरन जेट टीम भी एयरोबेटिक्स करते दिखाई पड़ेंगे.