मध्यप्रदेश

शिक्षकों की लापरवाही आई सामने,रानीबुढार प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला में दिनभर लटकता रहा ताला

शिक्षकों की लापरवाही आई सामने,रानीबुढार प्राथमिक शाला  एवं माध्यमिक शाला में दिनभर लटकता रहा ताला

नहीं जिम्मेदार अधिकारियों का इस पर ध्यान, कैसे हो उन नौनिहालों  का सपना साकार

डिंडौरी

डिंडौरी जिले में शिक्षा की लचर व्यवस्था से देश का भविष्य कहलाने वाले नई पीढ़ी के छात्र छात्राओं की शिक्षा अंधकार मय है।कहने को तो विद्यालय जून माह से ही प्रारंभ कर दी गई है।किंतु यह केवल और केवल कागज के पन्नो पर ही ग्रामीण अंचलों में तो शिक्षको के मौज ही मौज है न कोई देखने बाला न कोई सुनने बाला जो मन में आए बही करे क्योंकि शासन से हर महीने मोटी रकम तो मिलना ही है। ऐसे में देश का भविष्य कहलाने वाले नई पीढ़ी क्या देश का भविष्य होगा यह एक चिंतनीय विषय है जो हर नागरिक को इस पर पहल करनी होगी हर पालक को ध्यान देना होगा की जिस स्कूल में बच्चे पढ़ने जा रहे है क्या वहा नियमित पढ़ाई चल रही है या नही अगर नही तो उनकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करे तब कही बच्चो का भविष्य उज्ज्वल हो सकेगा

विकासखंड डिंडौरी अंतर्गत प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला रानी बुढार का मामला

जबकि प्रदेश  के मुखिया डॉ मोहन यादव ने बड़े ही गर्मजोशी के साथ समूचे मध्यप्रदेश में 18 जून से स्कूल चलें हम अभियान का शुभारंभ किया था लेकिन इस आदिवासी बाहुल्य जिले के ग्रामीण अंचलों में सरकार की इस मुहिम पर ही शिक्षक प्रश्न चिन्ह लगाने पर आमादा हैं जिसकी बानगी  वनांचल के बैगा जनजाति बाहुल्य ग्राम रानी बुढ़ार का सामने आया है जहां मासाब आए दिन स्कूल से गायब रहने के आदि हो चुके है गौरतलब हो कि दिन सोमवार को ग्राम रानी बुढ़ार के प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला परिसर में पूरे दिन ताला लटका रहा, यूं तो बच्चे तय  समय पर स्कूल तो गए, मगर यहां पदस्थ शिक्षक ही स्कूल नहीं आए, कक्षा 7 वीं में अध्यनरत बच्चे से जब पूछा गया तो उसने बताया कि वे स्कूल गए थे मगर इन्हें पढ़ाने वाले मासाब ही स्कूल नहीं आए ,स्कूल में ताला लटके रहने पर बच्चे अपने अपने घर वापस लौट आए बच्चों के अभिभावकों की माने तो उक्त शाला में पदस्थ तीनों शिक्षक अपडाउन करते है और जब मर्जी होती है तब आते और जब मर्जी हुई शाला बंद कर निकल जाते है ग्रामीणों ने मध्यान्ह भोजन में भी शिक्षकों द्वारा गड़बड़ी करने के आरोप लगाए हैं यहां अव्वल सवाल यह है कि राज्य शासन दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में शिक्षा व्यवस्था सुधारने युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहा है जिसकी शुरुआत स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 18 जून को स्कूल चलें हम अभियान के तहत किया था पर इस आदिवासी बाहुल्य जिले में शासन की मंशा पर जिम्मेदार सहित शाला में पदस्थ मासाब ग्रहण लगाने का काम कर रहे है उल्लेखनीय है की स्कूलों की सतत निगरानी करने के लिए जन शिक्षक सहित बी ,आर ,सी ,होते है पर वे भी अपने कर्तव्यों से विमुख होकर निगरानी रखने के एवज में महज खानापूर्ति करते नजर आते है।

शिक्षकों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे नौनिहाल छात्र

विकास खंड डिंडौरी के प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला में अध्यनरत छात्र एवं पालकों के वक्तव्य एवं मौके में देखने के‌ बाद सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि शिक्षकों की लापरवाही का खामियाजा देश के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहाल कैसे भुगतान रहे हैं जब 7वीं कक्षा के छात्र को अपने विद्यालय का नाम पता न हो की वो अध्यन‌ कहां करता है ऐसे में उन नौनिहालों का भविष्य उज्जवल कैसे होगा,ये समझ से परे है।

आखिर क्यों नहीं जिम्मेदार अधिकारियों का इन पर ध्यान

अधिकांशत देखने में यह आ रहा है कि जिलेभर में शिक्षक की व्यवस्था बहुत ही खराब है जिसकी पुष्टि अगर करना चाहे तो, अध्यनरत सभी विद्यालयों के विद्यार्थियों से उन्हीं के पाठ्यक्रम के विषय पर कुछ जानकारी लिया जाए तो स्पष्ट तौर पर श्वत:  ही समझ में आ जाएगा बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा इस ओर कोई पहल नहीं की जाती है और ना ही समय-समय पर विद्यालयों में जाकर  इस संबंध में कोई जानकारी ली जाती है

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधिओं का भी इस ओर नहीं ध्यान

क्षेत्रीय जनपद निधियां के द्वारा भी और इस और कोई पहल नहीं की जाती है और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि जनप्रतिनिधि हों या फिर राजनेता उनके बालक तो  अच्छे-अच्छे प्राइवेट स्कूलों में अध्यनरत हैं तो उनको क्या पड़ी है शासकीय विद्यालय में  अध्यनरत छात्र-छात्राओं की फिर चाहे उनका भविष्य अंधकार में ही क्यों ना हो ।

पालकों ने शासन एवं प्रशासन से माध्यमिक शाला एवं प्राथमिक शाला की शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग

रानी बुढ़ार में संचालित प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला में अध्यनरत छात्रों के पालकों ने शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त कराए जाने की मांग की है ताकि उनके बालक बालिकाओं की भविष्य उज्जवल हो सके । अपना वक्तव्य देते देते बालकों का दर्द छलका और उन्होंने स्पष्ट तौर पर यह कह दिया कि रानीबुढार में अध्यापन कार्य कर रहे अध्यापक सिर्फ अपनी पेमेंट बनाने की ओर ध्यान देते हैं कि उनकी बस रोजी-रोटी चलती रहे फिर चाहे यहां अध्ययन रत छात्र -छात्राओं का भविष्य अंधकार में ही क्यों ना हो, तभी तो उनके द्वारा अध्यापन कार्य में रुचि नहीं दिखाई जाती है, अध्यापक कितना समय विद्यालय संचालित करें या कितने समय बंद कर दें, या विद्यालय में आए ही ना इसकी कोई गारंटी नहीं होती है इससे स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है कि यहां अध्यापन कार्य करा रहे अध्यापकों की इन छात्रों के भविष्य को लेकर कितनी चिंता है

मध्यान भोजन एवं छात्रवृत्ति में भी बर्ती जा रही  लापरवाही

रानीबुढार विद्यालय में अध्यनरत छात्रों के पलकों का कहना है कि यहां के छात्रों को मध्यान भोजन भी सही तरीके से नहीं दिया जाता है और ना ही यहां अध्यनरत छात्रों को शासन के द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिल पा रहा है

इनका कहना है

हमारे यहां का शिक्षा व्यवस्था बहुत ही खराब स्थिति में है यहां के शिक्षक कभी भी स्कूल बंद कर देते हैं उनकी कोई टाइमिंग भी नहीं है हम चाहते हैं कि हमारे यहां शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो और हमारे यहां मध्यान भोजन
 की भी स्थिति ठीक नहीं है उसे भी ठीक कराया जाए ।

    राजू यादव
पालक रानीबुढ़ार

हमारे यहां के बालक एवं बालिका विद्यालय तो गए थे पर 12बजे घर वापस लौट आए तब तब मैंने पूछा की स्कूल से कैसे वापस आ गए तब बालकों ने बोला मां साहब नहीं आए हैं

   प्रहलाद यादव
पालक रानीबुढ़ार

स्कूल बंद वाले मामले की जानकारी आपके माध्यम से लगी है मैं जनशिक्षक को मामले की जांच करने के लिए निर्देशित करता हूं अगर शिक्षक अनुपस्थित पाए जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी

    अरूण कुमार चौबे

बी आर सी विकासखंड डिंडौरी

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