नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग पीड़िता से पूछताछ करने संबंधी अपने आदेश का पालन न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से नाखुशी जताई। कोर्ट ने कहा कि अदालत महज मनोरंजन के लिए कोई आदेश पारित नहीं करती। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को पॉक्सो अधिनियम के मामले में पीड़िता से पूछताछ करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और चेतावनी दी कि अगर तय समय के भीतर ऐसा नहीं किया गया तो वह राज्य के गृह सचिव को तलब करेगी।
'सरकारी वकील आदेश को गंभीरता से नहीं ले रहे'
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की वकील से कहा, हमारा आदेश अनिवार्य था। इसका हूबहू पालन किया जाना था। हम महज मनोरंजन के लिए कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं। हम ऐसा लगातार देख रहे हैं। सरकारी वकील हमारे आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। एक सप्ताह के अंदर ऐसा नहीं हुआ तो हम गृह सचिव को यहां बुलाएंगे। ये सब होने देने में हम ही दोषी हैं…गलती हमारी ही है। राज्य के वकील का रवैया बहुत लापरवाही भरा है। कोर्ट लड़की से रेप के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
क्या है मामला?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट नाबालिग से बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आरोपी पर 16 साल की लड़की के साथ कथित बलात्कार और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया है। उसने पिछले साल 30 नवंबर को उसकी जमानत याचिका खारिज करने संबंधी इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार नाबालिग का छह महीने से अधिक समय तक कई बार यौन शोषण करने के आरोप में आरोपी के खिलाफ 19 सितंबर, 2023 को एफआईआर दर्ज की गई थी।