नई दिल्ली
Budget 2024: केंद्र सरकार अपनी प्रमुख आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के लाभार्थियों की संख्या आगामी तीन साल के दौरान दोगुना करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सरकार शुरुआत में 70 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को इसके दायरे में लाने और बीमा कवरेज को बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष करने पर मंथन कर रही है।
क्या है डिटेल
आधिकारिक सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यदि प्रस्तावों को मंजूरी दी जाती है तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुमान के अनुसार, सरकारी खजाने पर प्रति वर्ष 12,076 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। सूत्रों ने कहा, ‘‘अगले तीन वर्षों में एबी-पीएमजेएवाई के तहत लाभार्थियों की संख्या दोगुना करने पर चर्चा हो रही है, जिसे लागू किया गया तो देश की दो-तिहाई से अधिक आबादी को स्वास्थ्य कवर मिलेगा। परिवारों को कर्ज के दलदल में धकेलने वाले कुछ सबसे बड़े कारणों में चिकित्सा व्यय भी एक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कवरेज राशि की सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से दोगुना कर 10 लाख रुपये करने के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने पर भी विचार-विमर्श चल रहा है।’’
बजट में हो सकता है ऐलान
इस महीने के अंत में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में इन प्रस्तावों या इसके कुछ हिस्सों की घोषणा होने की उम्मीद है। अंतरिम बजट 2024 में सरकार ने ‘एबी-पीएमजेएवाई’ के लिए आवंटन बढ़ाकर 7,200 करोड़ रुपये कर दिया जो 12 करोड़ परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति वर्ष पांच लाख रुपये प्रति परिवार का स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है। आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के लिए 646 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 जून को संसद की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा था कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को भी अब आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर किया जाएगा और मुफ्त इलाज का लाभ मिलेगा। वहीं, एक अन्य सूत्र ने कहा कि 70 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मिलाकर इस योजना के लाभार्थियों की संख्या लगभग चार-पांच करोड़ बढ़ जाएगी।
क्या है मकसद
एबी-पीएमजेएवाई के लिए पांच लाख रुपये की सीमा 2018 में तय की गई थी। कवर राशि को दोगुना करने का उद्देश्य उच्च लागत वाले उपचार जैसे प्रतिरोपण, कैंसर आदि के मामले में परिवारों को राहत प्रदान करना है। नीति आयोग ने अक्टूबर 2021 में प्रकाशित ‘भारत के लापता मध्य के लिए स्वास्थ्य बीमा’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में इस योजना का विस्तार करने का सुझाव दिया था। इसमें कहा गया था कि लगभग 30 प्रतिशत आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित है, जो भारतीय आबादी में स्वास्थ्य बीमा कवरेज में अंतर को उजागर करती है। लगभग 20 प्रतिशत आबादी सामाजिक स्वास्थ्य बीमा और निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से कवर की जाती है, जो मुख्य रूप से उच्च आय समूहों के लिए तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 30 प्रतिशत आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित है, पीएमजेएवाई में मौजूदा कवरेज अंतराल और योजनाओं के बीच व्याप्ति (ओवरलैप) के कारण स्वास्थ्य कवर से वंचित वास्तविक आबादी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य कवर से वंचित इस आबादी को ‘लापता मध्य’ (मिसिंग मिडल) कहा जाता है।