नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह की याचिका पर एक रियल स्टेट कंपनी को नोटिस जारी किया। भारत को 2011 में वर्ल्ड कप जितवाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह ने अदालत से मांग की है कि विवाद के निपटारे के लिए आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की जाए। जस्टिस हरि शंकर ने याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की और ब्रिलियंट एटोइल प्राइवेट लिमिटेड से जवाब मांगा।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, युवराज सिंह ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उन्हें फ्लैट देने में देरी की और इसकी गुणवत्ता भी खराब है। युवराज सिंह ने दिल्ली के हौज खास में इस कंपनी का फ्लैट 2021 में बुक किया था। उस समय उसकी कीमत 14.10 करोड़ रुपए बताई गई थी। पूर्व क्रिकेटर को नवंबर 2023 में फ्लैट का पजेशन मिला, लेकिन जब वह प्रॉपर्टी को देखने पहुंचे तो इसकी गुणवत्ता कमतर थी।
युवराज सिंह ने कहा है कि बिल्डर ने गुणवत्ता से समझौता किया और फिटिंग, लाइटिंग आदि खराब है। उन्होंने डिलीवरी में देरी और खराब गुणवत्ता के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की है। युवराज सिंह ने पर्सनैलिटी राइट्स के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है और कहा कि डिवेलपर ने उनके ब्रैंड वैल्यू का दुरुपयोग किया। उन्होंने एमओयू की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शर्त के मुताबिक प्रॉजेक्ट को प्रमोट करने के लिए नवंबर 2023 के बाद उनका चेहरे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था।
युवराज ने कहा कि है कि बिल्डर की ओर से अभी भी उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल बिलबोर्ड्स, प्रॉजेक्ट साइट, सोशल मीडिया और आर्टिकल में किया जा रहा है, जबकि एमओयू की अवधि खत्म हो चुकी है। युवराज सिंह की तरफ से वकील रिजवान ने दलीलें पेश कीं। रियल स्टेट कंपनी की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।