ग्वालियर
सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई हो इसको लेकर सरकार दिल खोलकर खर्च कर रही है। इसके बाद भी ग्वालियर के 54 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी विद्यार्थी इस बार पास नहीं हो सका। वह भी तब जब स्कूलों काे हाईटेक करने से लेकर शिक्षकों को हर तीन माह में किसी न किसी तरह से प्रशिक्षित कर बेहतर परीक्षा परिणाम लाने की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके बाद भी लाखों रुपये वेतन उठाने वाले शिक्षक परिणाम के नाम पर शून्य देते हैं।
इससे साफ है कि ना तो इन स्कूलों की ढंग से मॉनिटरिंग की गई और न ही स्कूलों में पहुंचने वाले विद्यार्थियों को ठीक से पाया जाता है। जिसका नतीजा सामने हैं। अब इन स्कूलों के खराब परीक्षा परिणाम को लेकर डीपीसी द्वारा सभी संस्था प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। इसका जवाब अगले सात दिन में मांगा गया है। यदि जवाब संतुष्टिपूर्ण नहीं रहा तो आगे एक्शन लिया जाएगा।
इन स्कूलों के परीक्षा परिणाम खराब होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर व ग्रामीण के स्कूलों में तैनात शिक्षक पढ़ाने तक नहीं जाते। गजब की बात यह है कि एक से लेकर 5 तक के विद्यार्थियों को एक ही कक्षा में बैठाकर,एक ही शिक्षक द्वारा सभी विषय पढ़ाए जाते हैं, क्योंकि बाकी के शिक्षक स्कूल पहुंचते ही नहीं है।
ऐसे में विद्यार्थी क्या सीखेगा और एक शिक्षक सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को क्या पढ़ाएगा इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है इस अव्यवस्था का नईदुनिया द्वारा खुलासा किया गया इसके बाद भी जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अफसर इन स्कूलों में झांकने तक नहीं पहुंचे। इससे साफ है कि नोटिस देना एक औपचारिकता भर है और कुछ नहीं ।
असल में शहर और ग्रामीण मिलाकर 46 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जिनमें कक्षा पांचवीं का एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ। इसी तरह से 8 मिडिल स्कूल ऐसे है जिनमें एक भी कक्षा 8 वीं का विद्यार्थी पास नहीं हुआ। जिसको लेकर ग्वालियर की रैंकिंग प्रदेश में कम रही और कक्षा पांच व आठ वीं का परीक्षा परिणाम में फैल होने वाले बच्चों का ग्राफ बढ़ गया।