मुरादाबाद
पूर्व सांसद एवं सपा नेता डॉक्टर एसटी हसन ने कांवड़ यात्रा को बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद से अजान की आवाज निर्धारित 60 डेसिबल से ऊपर जाते ही पुलिस मस्जिद का लाडस्पीकर उतारकर ले जाती है, जबकि कांवड़ यात्रा के दौरान हैवी डीजे बेरोकटोक बजाया जाता है। उन्होंने कहा कि क्या मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने वाले इन हैवी डीजे को भी रोकेंगे।
दरअसल, प्रदेश सरकार ने मोहर्रम के दौरान अस्त्र-शस्त्र पर पाबंदी लगाई है। मुरादाबाद के पूर्व सांसद एसटी हसन सरकार के इस आदेश से नाराज हैं। इस पर सपा नेता एवं पूर्व सांसद एसटी हसन का कहना है कि अगर पाबंदी लगाई जा रही है, तो फिर सब पर बराबर लगाई जानी चाहिए। सभी के धार्मिक जुलूसों में अस्त्र-शस्त्र पर पाबंदी लगाई जाए। फिर हमें कोई ऐतराज नहीं होगा। हसन ने पूछा कि मोहर्रम में इस तरह की पाबंदी की क्या जरूरत थी। कई सौ साल से मुसलमान मोर्हरम के जुलूस में अपनी कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
'मस्जिद से लाउडस्पीकर उतार ले जाते हैं'
एसटी हसन का कहना है कि इतने हैवी डीजे लेकर लोग चलते हैं कि दिल धड़कने लगते हैं, खिड़कियां हिलने लगती हैं और कार के अंदर तक वाइब्रेशन आता है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट और योगी सरकार दोनों का ही आदेश 60 डेसिबल का है, लेकिन इसे लागू सिर्फ मस्जिदों पर कराया जाता है। अजान की आवाज अगर 60 डेसिबल से ऊपर जाती है, तो पुलिस तुरंत मस्जिद का एक लाउडस्पीकर उतार कर ले जाती है। सवाल किया कि डीजे को क्यों नहीं रोका जाता? कहा कि अगर सभी के साथ बराबरी का इंसाफ होगा, तब किसी को परेशानी ही नहीं होगी।