नई दिल्ली
देश में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत दूरसंचार उपकरणों की विनिर्माण संबंधी बिक्री 50 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है। इस योजना के लागू किए जाने के तीन साल के अंदर तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश भी हुआ है।
दूरसंचार विभाग (डॉट) ने एक बयान में बताया कि पीएलआई के तहत दूरसंचार उपकरणों की निर्माण संबंधी बिक्री 50 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है। इस योजना के लागू किए जाने के तीन साल के अंदर 3,400 करोड़ रुपये का निवेश भी हुआ है। इसके तहत करीब 10,500 करोड़ का निर्यात हुआ है, जिससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
डॉट ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना मोबाइल फोन और उसके घटकों के विनिर्माण करती है। इसके परिणामस्वरूप भारत से मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात दोनों में काफी तेजी आई है। भारत कई वर्षों से दूरसंचार उपकरणों का आयात करता रहा है, लेकिन मेक-इन-इंडिया और पीएलआई योजना के कारण संतुलन बदल गया है, जिसके कारण देश में 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरणों का उत्पादन हो रहा है।
विभाग के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में भारत मोबाइल फोन का एक बड़ा आयातक था, जब देश में सिर्फ 5.8 करोड़ यूनिट का उत्पादन होता था, जबकि 21 करोड़ यूनिट का आयात होता था लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में 33 करोड़ यूनिट का उत्पादन हुआ है। इस दौरान केवल 0.3 करोड़ यूनिट का आयात हुआ और करीब 5 करोड़ यूनिट का निर्यात हुआ। मोबाइल फोन के निर्यात का मूल्य वित्त वर्ष 2014-15 में 1,556 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2017-18 में 1,367 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 1,28,982 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014-15 में मोबाइल फोन का आयात 48,609 करोड़ रुपये का था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर मात्र 7,665 करोड़ रुपये रह गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से देश में उत्पादन, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।