संयुक्त राष्ट्र
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव का समर्थन करने से इनकार कर दिया जिसमें रूस से यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रामकता को तुरंत समाप्त करने के लिए आग्रह किया गया था। साथ ही इस प्रस्ताव में ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र से अपने बलों और अन्य अनधिकृत कर्मियों को तत्काल वापस बुलाने का भी आग्रह किया गया है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। इसके पक्ष में 99 वोट पड़े और नौ विरोध में। 60 देश इस वोटिंग से अलग रहे। गैरहाजिर रहने वाले देशों में भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, मिस्र, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका शामिल हैं। प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वालों में बेलारूस, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और सीरिया शामिल थे।
रूस से यूक्रेन में अपने आक्रमण को समाप्त करने का आह्वान करने वाला प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉस्को दौरे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के कुछ दिनों बाद आया है। वार्ता के दौरान पर चर्चा की थी। उन्होंने पुतिन के समक्ष कीव के अस्पताल में हुई बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया था।
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में रूस से ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र से अपनी सेना और अन्य अनधिकृत कर्मियों को तत्काल वापस बुलाने का आग्रह किया गया। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तुरंत यूक्रेन को सौंप देने के लिए कहा गया है।
मसौदा प्रस्ताव यूक्रेन द्वारा पेश किया गया था और इसे फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका सहित 50 से अधिक सदस्य देशों द्वारा प्रायोजित किया गया था। इस संकल्प पर मतदान से पहले रूस के प्रथम उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलांस्की ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दुर्भाग्य से कई दस्तावेजों को अपनाया है जो बिना सहमति के राजनीतिक मंशा वाले थे। उनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था।
उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज के मसौदे के पक्ष में मतदान को कीव, वाशिंगटन, ब्रुसेल्स और लंदन द्वारा यूक्रेनी संघर्ष को और बढ़ाने की उनकी नीति के समर्थन के प्रमाण के रूप में देखा जाएगा।"