नई दिल्ली
देश के विभिन्न हिस्सों में भारी वर्षा के कारण 150 मुख्य जलाशयों में जलस्तर बढ़कर इनकी कुल क्षमता का 26 फीसदी हो गया है, लेकिन यह पिछले साल की समान अवधि के जलस्तर के मुकाबले कम है। आधिकारिक आंकड़े से यह जानकारी मिली। पिछले हफ्ते इन जलाशयों में जलस्तर कुल क्षमता के मुकाबले 22 फीसदी था। इनकी वर्तमान जल संचय क्षमता 46.311 अरब घन मीटर (बिलियन क्यूबिक मीटर) है, जो इन जलाशयों की कुल संचय क्षमता का 26 प्रतिशत है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की ओर से शुक्रवार को जारी बुलेटिन के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जलस्तर में गिरावट आई है, क्योंकि तब जलस्तर 58.864 अरब घन मीटर (बीसीएम) था। जिन जलाशयों की निगरानी की जा रही है, उनकी संयुक्त संचय क्षमता कुल 178.784 बीसीएम है, जो देश में कुल अनुमानित संचय क्षमता का 69.35 प्रतिशत है।
व्यापक संचय क्षमता के बावजूद, मौजूदा आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा जल संचय पिछले वर्ष के जलस्तर का केवल 79 प्रतिशत और ‘सामान्य जल संचय’ का 90 प्रतिशत है, जिसकी गणना पिछले 10 वर्षों के औसत जल संचय के आधार पर की जाती है। उत्तरी क्षेत्र में जल स्तर में उल्लेखनीय कमी का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं। जिन 10 जलाशयों की निगरानी की गई है, उनकी कुल संचय क्षमता 19.663 बीसीएम है, जबकि उनकी वर्तमान संचय क्षमता 5.979 बीसीएम (क्षमता का 30 प्रतिशत) है। यह पिछले वर्ष के 63 प्रतिशत और ‘सामान्य संचय स्तर’ 35 प्रतिशत से काफी कम है। पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार के जलाशयों के जलस्तर में भी कमी देखी गई है। इस क्षेत्र के 23 जलाशयों की संयुक्त संचय क्षमता 20.430 बीसीएम है, लेकिन वर्तमान संचय क्षमता 4.132 बीसीएम (कुल क्षमता का 20 प्रतिशत) है। पिछले वर्ष जल संचय 22 प्रतिशत था और सामान्य संचय स्तर 24 प्रतिशत था।
गुजरात और महाराष्ट्र समेत पश्चिमी क्षेत्र के 49 जलाशयों की कुल संचय क्षमता 37.130 बीसीएम है, लेकिन वर्तमान जल संचय 9.398 बीसीएम (कुल क्षमता का 25 प्रतिशत) है, जो पिछले वर्ष के 32 प्रतिशत और सामान्य संचय स्तर 27 प्रतिशत से कम है। मध्य क्षेत्र में 26 जलाशय हैं, जिनकी कुल संचय क्षमता 48.227 बीसीएम है, लेकिन इनका मौजूदा जल संचय 13.035 बीसीएम है जो पिछले साल के 39 फीसदी और सामान्य संचय स्तर 32 फीसदी से कम है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
दक्षिणी क्षेत्र के अंतर्गत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं और इसमें मिश्रित रुझान दिखा। इस क्षेत्र के जिन 42 जलाशयों की निगरानी की गई उनकी कुल संचय क्षमता 53.334 बीसीएम है, जबकि मौजूदा जल संचय 13.767 बीसीएम (कुल क्षमता का 26 फीसदी) है। यह पिछले साल के 22 फीसदी से बेहतर है, लेकिन 27 फीसदी के सामान्य संचय स्तर से अब भी कम है। देश के 150 जलाशयों के डाटा के आधार पर भारत की कुल जल संचय क्षमता का आकलन 66.782 बीसीएम किया गया है, जबकि समग्र क्षमता 257.812 बीसीएम है।