राजनीती

शिंदे-फडणवीस की जोड़ी ने छीनी MLC की एक सीट, जीत की इनसाइड स्टोरी

मुंबई

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भले ही महाविकास अघाड़ी ने जोरदार प्रदर्शन कर बीजेपी नीत NDA को परेशानी में डाल दिया था, लेकिन शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में हुए एमएलसी चुनाव में NDA ने जबर्दस्त जीत हासिल की है. महाराष्ट्र में एनडीए के महायुति गठबंधन ने 11 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है तो वहीं INDIA गठबंधन के तीन प्रत्याशियों में से सिर्फ 2 ही जीत सके हैं. इसके अलावा ये भी खबर है कि कांग्रेस के 7 से 8 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.

भाजपा को पांच सीटों पर मिली जीत
बता दें कि 11 सीटों पर हुई वोटिंग के बाद जब मतगणना हुई तो सामने आया कि भाजपा को 5, शिवसेना शिंदे और NCP अजित पवार गुट को 2-2 सीटों पर विजय मिली है. वहीं INDIA ब्लॉक से शिवसेना (UBT) और कांग्रेस ने एक-एक सीट जीती है.  शरद पवार के समर्थन से खड़े जयंत पाटिल चुनाव हार गए हैं. विधान परिषद चुनाव में जीत के लिए एक कैंडिडेट को 23 विधायकों के वोट चाहिए थे. इनमें भाजपा के 103, शिवसेना (शिंदे गुट) के 38, NCP (अजित गुट) के 42, कांग्रेस के 37, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और NCP (शरद पवार) के 10 विधायक हैं.

एमवीए को एक सीट पर मिली हार
इस तरह महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव के नतीजे जब सामने आए हैं तो 11 सीटों में से सभी 9 उम्मीदवारों की जीत के बाद एनडीए के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने एक बार माहौल तो अपने पक्ष में कर लिया है. उधर, एमवीए को तीन सीटों में से एक सीट गंवानी पड़ गई है. बीजेपी की पंकजा मुंडे समेत महायुति के सभी 9 उम्मीदवारों को जीत मिली है. कांग्रेस से प्रज्ञा सातव भी जीत गई हैं. दूसरी ओर यूबीटी सेना बढ़त हासिल करने में कामयाब रही और शरद पवार समर्थित उम्मीदवार की हार हुई.

जयंत पाटिल हारे
आखिरी सीट के लिए दूसरे दौर में उद्धव ठाकरे गुट के मिलिंद नार्वेकर और शरद पवार गुट से समर्थित पीपल्स वोकर्स एंड पीजेंट्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के जयंत पाटिल के बीच टक्कर हुई. इस टकराव में मिलिंद नार्वेकर ने जयंत पाटिल को हराकर जीत हासिल की. इन 11 विधान परिषद सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में थे. 

क्या है वोटों का गणित?
सवाल है कि क्या कांग्रेस के वोट बंट गए? अब तक सामने आए वोटों के आंकड़ों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस के सात वोट बंट गए हैं. अब वोटिंग के गणित पर नजर डालें तो तस्वीर कुछ ऐसी बैठती है कि कांग्रेस के कुल 37 विधायक हैं. उनमें से 25 विधायकों ने अपने प्रथम वरीयता के वोट प्रज्ञा सातव को दिए. यानी कांग्रेस के 12 प्रथम वरीयता के वोट अतिरिक्त बचे थे. उधर, मिलिंद नार्वेकर को प्रथम वरीयता के 22 वोट मिले. इसमें ठाकरे ग्रुप के पास 15 वोट हैं. अगर कांग्रेस बाकी सात वोट जोड़ भी ले तो भी पांच वोटों का सवाल रहस्य बना हुआ है. जयंत पाटिल को प्रथम वरीयता के 12 वोट मिले. ये 12 वोट शरद पवार गुट के हैं.

पहली पसंद को कितने वोट?
आठ प्रत्याशियों ने प्रथम वरीयता के वोट पाकर चुनाव जीत लिया है. बाकी उम्मीदवारों को वोटों की दूसरी पसंद पर निर्भर रहना होगा. जीत के लिए कम से कम 23 प्रथम वरीयता वोटों की जरूरत थी. जिन उम्मीदवारों को बराबर या अधिक वोट मिलते हैं उन्हें विजेता घोषित किया जाता है. प्रत्याशियों को मिले वोटों पर डालते हैं एक नजर-

बीजेपी से जीते प्रत्याशी कितने वोट मिले?
पंकजा मुंडे 26 वोट मिले, जीतीं
परिणय फुके 26 वोट मिले, जीते
अमित गोरखे 26 वोट मिले, जीते
योगेश टिलेकर 26 वोट मिले, जीते
सदाभाऊ खोत 14 वोट मिले, जीते (दूसरे दौर में विजेता)
एनसीपी (अजित पवार गुट) कितने वोट मिले?
शिवाजी राव गरजे  24 वोट मिले (जीते)
राजेश विटेकर  23 वोट मिले (जीते)
शिव सेना (शिंदे गुट) कितने वोट मिले?
कृपाल तुमाने 24 वोट मिले (जीते)
भावना गवली 24 वोट मिले (जीतीं)
कांग्रेस कितने वोट मिले?
प्रज्ञा सातव 25 वोट मिले (जीतीं)
शिव सेना (UBT ग्रुप) कितने वोट मिले?
मिलिंद नार्वेकर  22 वोट मिले (दूसरे राउंड में जीते)
पीडब्लूपी (शरद गुट का समर्थन) स्टेटस
जयंत पाटिल 12 वोट मिले (हारे)

MLC चुनाव से निकलकर सामने आईं कुछ खास बातें

1. आखिरी चरण में अपने पीए मिलिंद नार्वेकर को मैदान में उतारने और विधायकों का पर्याप्त संख्या बल न होने के बावजूद भी उद्धव ठाकरे ने जीत हासिल की.

2. बीजेपी के पांच उम्मीदवार जीते. इसमें बीजेपी ने पंकजा मुंडे को फिर से मौका दिया, साथ ही विधान परिषद में तीन ओबीसी, एक दलित और एक मराठा चेहरा चुना गया.

3. एकनाथ शिंदे ने दो मौजूदा विधायकों को लोकसभा में मौका नहीं देने की गलती सुधार ली है. शिवसेना के असंतुष्ट पूर्व सांसदों भावना गवली और कृपाल तुम्हाणे दोनों को मौका मिला और वे विधान परिषद के लिए चुने गए हैं.

4. जयंत पाटिल को शरद पवार समूह का समर्थन प्राप्त था, लेकिन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में सहयोगी दलों ने उनका समर्थन नहीं किया.

5. कांग्रेस के सात विधायक टूट गए. कांग्रेस विधायकों ने प्रज्ञा सातव को 25 और नार्वेकर को 6-7 वोट देते नजर आ रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी करीब सात विधायकों के क्रॉस वोटिंग की आशंका है.

6. महा विकास अघाड़ी के साथ निर्दलीय विधायकों और बहुजन विकास अघाड़ी, एमआईएम, एसपी, एमएनएस जैसे छोटे दलों के विधायकों ने भी माविया के उम्मीदवारों को अपनी पहली वरीयता के वोट नहीं दिए होंगे.

7. इस नतीजे से एक बात जो निकलकर सामने आ रही है वो ये कि जो विधायक एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ गए थे, वो लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी उनके साथ बरकरार हैं. विधानसभा चुनाव महज तीन महीने दूर हैं. तब तक, उन्हें सरकार के साथ सत्ता में रहने का लाभ है. लेकिन इससे एक राजनीतिक संदेश भी जाता है कि शिंदे और अजित पवार के गुट अभी भी मजबूत हैं.

8. भले ही कांग्रेस को महाराष्ट्र में लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन इन नतीजों से यह भी पता चलता है कि उनका अपने विधायकों पर पूरा नियंत्रण नहीं है. अगर कांग्रेस की ओर से एक बार फिर क्रॉस वोटिंग हुई तो भी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश नेतृत्व को सोचना होगा.

9. बीजेपी और महायुति पर इस सफलता का कोई खास असर नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि ये चुनाव महज विधायकों का गणित था. जनता की राय जनता की जमीन पर अलग-अलग तरीके से मिलते है.

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