कराची.
पाकिस्तान में ब्रेस्ट मिल्क बैंक को लेकर बवाल मच गया है। कराची के एक अस्पताल ने प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्मे) बच्चों के लिए देश का पहला ब्रेस्ट मिल्क बैंक शुरू किया था, लेकिन धार्मिक नेताओं द्वारा इसे गैर-इस्लामी घोषित करने के बाद इसे बंद करना पड़ा। बता दें पाकिस्तान में से हर 1000 नवजात शिशुओं में 39 की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा दक्षिण एशिआ में सबसे ज्यादा है।
यूएन की सलाह की मानें तो इस ब्रेस्ट मिल्क बैंक से बच्चों की जान बचाई जा सकती है। मगर इस्लामिक धार्मिक नेताओं ने इस सलाह को भी नजरअंदाज कर इसे बंद करवा दिया। यह मिल्क बैंक कराची में सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड नियोनेटोलॉजी (SICHN) अस्पताल में स्थापित किया गया था। अस्पताल के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर जमाल रजा ने बताया कि दिसंबर में जमिया दारुल उलूम कराची से धार्मिक मंजूरी मिलने के बाद इसे जून में खोला गया था। लेकिन मंजूरी वापस ले ली गई और इसे बंद करना पड़ा।
प्रीमैच्योर बच्चों के लिए है वरदान
डॉ. जमाल रजा ने कहा, "प्रीमैच्योर बच्चों की जीवन रक्षा के लिए ब्रेस्ट मिल्क ही एकमात्र उपाय है। लोग इस सुविधा की अहमियत को नहीं समझ पा रहे हैं। यह दूध केवल प्रीमैच्योर बच्चों को दिया जाना था।" संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के अनुसार, पाकिस्तान में नवजात शिशु मृत्यु दर 1,000 जीवित जन्मों में से 39 है, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। इस मिल्क बैंक का उद्देश्य नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा की संभावनाओं को बढ़ाना है।
पहले मंजूरी देने के लिए जारी हुआ था फतवा
दिसंबर 2023 में जमिया दारुल उलूम कराची द्वारा इस सुविधा की मंजूरी देने वाला एक फतवा जारी किया गया था। लेकिन बाद में इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल ने यह सवाल उठाया कि बच्चे के परिवार को पता होना चाहिए कि दानकर्ता कौन हैं ताकि ऐसे परिवारों के बीच भविष्य में विवाह का मुद्दा जटिल ना बने।
डॉक्टरों को उम्मीद है कि मिल्क बैंक फिर से खुलेगा
काउंसिल के शोध प्रमुख इनामुल्लाह ने एएफपी को बताया, "बच्चे के परिवार को दानकर्ताओं की पहचान पता होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे परिवारों के बीच विवाह के मुद्दे जटिल न बनें। हमें उम्मीद है कि परिणाम अनुकूल होगा।" डॉक्टर और इस्लामिक काउंसिल अब इस सुविधा को फिर से खोलने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि यह ब्रेस्ट मिल्क बैंक फिर से खोला जा सकते है।