नई दिल्ली
सरकार ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगामी बजट सत्र के दौरान बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन करने वाला विधेयक पेश कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि संशोधन विधेयक में शामिल किए जा सकने वाले कुछ प्रावधानों में समग्र लाइसेंस, अंतर पूंजी, सॉल्वेंसी मानदंडों में राहत, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, मध्यवर्तियों के लिए एकमुश्त पंजीकरण और बीमा कंपनियों को अन्य वित्तीय उत्पाद वितरित करने की अनुमति देना शामिल हैं।
इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की तरह विभेदित बीमा कंपनियों के प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। बैंकिंग क्षेत्र को इस समय सार्वभौमिक बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। समग्र लाइसेंस के प्रावधान से जीवन बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा पॉलिसियों को ‘अंडरराइट’ करने की अनुमति मिलेगी।
बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के अनुसार, जीवन बीमा कंपनियां केवल जीवन बीमा कवर ही दे सकती हैं, जबकि साधारण बीमा कंपनियां स्वास्थ्य, मोटर, आग लगने जैसे गैर-बीमा उत्पाद दे सकती हैं। इरडा बीमा कंपनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग की अनुमति नहीं देता है। ऐसे में एक बीमा कंपनी एक इकाई के रूप में जीवन और गैर-जीवन, दोनों उत्पाद नहीं दे सकती है। सूत्रों ने बताया कि विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, पॉलिसीधारकों को मिलने वाले प्रतिफल में सुधार करने, अधिक प्रतिभागियों के प्रवेश को सुगम बनाने, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने, बीमा उद्योग की परिचालन और वित्तीय दक्षता बढ़ाने और कारोबारी सुगमता पर केंद्रित हैं। वित्त मंत्रालय ने दिसंबर, 2022 में बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा विनियामक विकास अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं थीं।