मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे की रिपोर्ट आज हाई कोर्ट इंदौर की खंडपीठ में प्रस्तुत की जाएगी

धार
मध्य प्रदेश में धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे की रिपोर्ट आज हाई कोर्ट इंदौर की खंडपीठ में प्रस्तुत की जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। भोजशाला का सच जानने के लिए किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी है।

तीन महीने तक चला सर्वे
उल्लेखनीय है कि इंदौर हाई कोर्ट ने 11 मार्च को भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे कार्य करने का आदेश एएसआई को दिया था। यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक 98 दिन किया गया। सर्वे के दौरान खोदाई भी की गई। फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की सहायता ली गई।

जैन समाज की एक संस्था ने भी किया था दावा
बता दें कि एएसआई को पहले चार जुलाई को सर्वे रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत करनी थी, किंतु रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई थी। नतीजतन, एएसआई के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने 10 दिन का अतिरिक्त समय मिला था। यह समय रविवार (14 जुलाई) को पूरा हो गया है। चूंकि रविवार को अवकाश था इसलिए अब 15 जुलाई को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। वहीं, जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था के कार्यकर्ता ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर भोजशाला को जैन धार्मिक स्थल होने का दावा किया है। उस पर भी हाई कोर्ट में सुनवाई की जानी है।

देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां
रिपोर्ट में मिले अवशेषों को महत्व रहेगा एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डा. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में हुए इस सर्वे में 1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं। मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति खास है, जो भोजशाला से लंदन ले जाई गई मूर्ति के समान ही बताई जा रही है। हालांकि आकार में यह छोटी है। सर्वे के तहत की गई सफाई में भित्ति चित्र दिखाई दिए हैं।

कई देवताओं की हैं मूर्तियां
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा कि सर्वे में अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में मिले पुरावशेषों में 37 मूर्तियां हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।

जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां भी
भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं। भगवान भैरवनाथ सहित मयूर पंख वाले कृष्ण, हनुमानजी, ब्रह्माजी की परिवार सहित जैन तीर्थंकर की मूर्तियां भी हैं। द्वार पर द्वारपाल की मूर्ति से लेकर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली हैं। 1700 पुरावशेषों में स्तंभों व दीवार के 575 टुकड़े बड़े आकार के हैं।

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