लखनऊ
उत्तर प्रदेश शिक्षकों से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. फिलहाल दो महीने के लिए सरकारी स्कूलों में डिजिटल अटेंडेंस स्थगित कर दी गई है. इस नये नियम को सरकार ने दो माह के लिए होल्ड पर रख दिया है.
डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षक संघ ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से मुलाकात की. इस पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आश्वासन देते हुए कहा है कि एक कमेटी बनाकर समस्या का निस्तारण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश की शिक्षा में ट्रांसफॉर्मेशन होना चाहिए. फिलहाल दो माह के लिए इसे होल्ड पर कर दिया गया है.
गौरतलब है कि ऑनलाइन अटेंडेंस के सरकारी फरमान के विरुद्ध प्रदेश भर के सरकारी टीचर लामबंद हो गए हैं. शिक्षकों को जब उनके धरने प्रदर्शन के बावजूद सरकार से कोई राहत नहीं मिली तो सामूहिक रूप से उन्होंने संकुल पद से त्यागपत्र देने का फैसला किया. बता दें कि रामपुर जिले के 375 शिक्षकों ने इस पद से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी जिसमें शिक्षक बिना किसी मानदेय या खर्च की विद्यालयों के पत्र और सूचनाओं पहुंचने तक सरकारी काम करते रहे हैं.
लो क्वालिटी टैब को शिक्षकों ने बताया समस्या
डिजिटल अटेंडेस का विरोध करते हुए यूपी के शिक्षकों ने कई कारण दिए हैं. शिक्षक संतोष कुमार ने आजतक से बातचीत के दौरान कि प्रशासन ऑनलाइन अटेंडेंस पर जोर दे रहा है लेकिन उसे लागू करने में जो संसधान इस्तेमाल किए जा रहे हैं वे ही सही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि डिजिटल अटेंडेंस के लिए जो टैब स्कूलों को दिया गया है वह एकदम लो क्वालिटी का है. कभी काम करता है कभी नहीं. कई बार सर्वर डाउन दिखाता है.
समय को बताया मुख्य कारण
बिजनौर जिले के विकास क्षेत्र अलहैपुर धामपुर में प्राथमिक विद्यालय चांदनवाला के शिक्षक संतोष कुमार (स.अ.) ने आजतक.इन से कहा कि एक शिक्षक की हाजिरी तीन बार मांगी गई है, एक सुबह के समय, एक शिक्षण कार्य के बीच और एक स्कूल से निकलने से पहले. प्रशासन का मानना है कि ऑनलाइन हाजिरी होने से शिक्षक विद्यालय से नदारत नहीं रह पाएगा. वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले विद्यालय नहीं छोड़ पाएगा. ऐसे में अगर किसी शिक्षक की तबियत बिगड़ती है या उसके किसी परिचित के साथ कोई ट्रेजडी हो जाती है तो उसका क्या होगा? क्योंकि ऐसे स्थिति में शिक्षकों के लिए कोई प्रावधान नहीं है ना कोई हाफ डे ना कोई EL. शिक्षक को सालभर में मात्र 14 CL मिलती हैं.
काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने जताया विरोध
बता दें कि प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को 11 जुलाई से अनिवार्य रूप से डिजिटल अटेंडेंस (digital attendance) दर्ज कराने का आदेश दिया था. सरकार के इस आदेश के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोला. शिक्षकों के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों ने सरकार के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. यूपी के कई जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. कई संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा. इसके बाद बाराबंकी-उन्नाव में डिजिटल अटेंडेंस न लगाने पर शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया. अब इस नए नियम को होल्ड पर रखा गया है.
सीएम योगी ने दिया था समाधान निकालने का आदेश
उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों की नाराजगी दूर करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इसके समाधान के आदेश दिए थे। सीएम ने सोमवार को सभी डीएम, बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी (एबीएसए) को शिक्षकों और शिक्षक प्रतिनिधियों से बातचीत के निर्देश दिए थे।
एक सप्ताह से आंदोलनरत थे शिक्षक और संगठन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने आदेश में कहा था “विद्यालयों में पठन-पाठन सुचारु रूप से चलता रहे। अधिकारी शिक्षक और संगठनों से बातचीत कर यह सुनिश्चित करें।” हालांकि इससे पहले भी सीएम योगी ने विभागीय अधिकारियों को शिक्षकों से बातचीत कर समाधान निकालने के निर्देश दिए थे। दूसरी ओर, परिषदीय विद्यालयों में आठ जुलाई से शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस लगाने का शिक्षक संगठन विरोध कर रहे थे। इसे लेकर शिक्षक पिछले एक सप्ताह से आंदोलनरत शिक्षकों ने सोमवार को हर जिले में प्रदर्शन कर सीएम को संबोधित ज्ञापन भेजा था।