सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘वो शिक्षक, जो अधिसूचित जिलों में काम कर रहे हैं, काम करते रहेंगे और उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की वजह से परेशान नहीं किया जाएगा. सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम राहत जारी रहेगी’
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में 3,600 से ज्यादा शिक्षकों को राहत देते हुए उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति प्रदान की, और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. बता दें कि हाईकोर्ट ने बीते 21 सितंबर को झारखंड की ‘रोजगार नीति-2016’ निरस्त (रद्द) कर दी थी. इस नीति के अंतर्गत राज्य के 13 अधिसूचित जिलों में वर्ग तीन और वर्ग चतुर्थ की शत प्रतिशत सरकारी नौकरियां दस साल के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित की गई थीं.
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम.आर शाह की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और
याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो याचिकाओं की प्रति झारखंड सरकार के वकील को दें.
दरअसल झारखंड हाईकोर्ट ने 21 सितंबर के अपने फैसले में राज्य के 13 अधिसूचित जिलों में सरकारी स्कूलों में 8,423 सहायक हाई स्कूल शिक्षकों की चार साल पहले शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी थी. इन जिलों में रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहर, पूर्वी सिंहभूमि, पश्चिमी सिंहभूमि, सरायकेला-खरसावां, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा शामिल हैं.
हाईकोर्ट ने 8 ,423 पदों में से 3,600 से अधिक पदों पर हुई नियुक्तियों को रद्द कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निहित मुद्दों को देखते हुए उसका मत है कि इस पर विचार की जरूरत है. पीठ ने इसके साथ ही इन अपीलों और इसमें हस्तक्षेप के लिए दायर आवेदनों को चार नवंबर के लिए सूचीबद्ध (लिस्टेड) कर दिया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘इस दौरान, वो शिक्षक, जो अधिसूचित जिलों में काम कर रहे हैं, काम करते रहेंगे और उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की वजह से परेशान नहीं किया जाएगा. सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम राहत जारी रहेगी.’