नई दिल्ली
शिवराज सिंह चौहान के लिए अब आने वाला समय थोड़ा मुश्किल रह सकता है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने अब तय हो गया है कि उनसे पहले रहे कृषि मंत्रियों की तरह अब उनको भी अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरना ही होगा. जी हां, यहां बात हो रही है देश की सरकार को परेशानी में डालने वाले उस किसान आंदोलन की, जिसके कारण केंद्र सरकार को कृषि बदलावों के लिए लाए गए तीन कानूनों को वापस लेना पड़ा था.
उस समय देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हुआ करते थे. किसान आंदोलन पूरा इनके समय ही चला और इस दौरान केंद्र सरकार को कई दिक्कतों और आरोपों का सामना भी करना पड़ा था. एक बार फिर से किसान आंदोलन दिल्ली कूच करने को तैयार खड़ा है. दिल्ली से लगने वाले सभी राज्यों के बॉर्डर जैसे यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से किसान दिल्ली आने को तैयार खड़े हैं. किसान आंदोलन एक बार फिर से देश की सरकार के सामने चुनौती बनकर खड़ा हो गया है.
इस बार इस किसान आंदोलन का सामना केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान को करना पड़ेगा. शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में तो किसानों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं और अपनी मामा एवं पांव-पांव वाले भैया की छवि के जरिए मध्यप्रदेश के किसानों के दिल में वो राज करते हैं. लेकिन देश के अन्य राज्यों से किसान आंदोलन के बैनर तले एकत्रित हो रहे इन किसानों को क्या शिवराज सिंह चौहान संभाल पाएंगे. क्या किसान आंदोलन की प्रमुख मांगों पर शिवराज सिंह चौहान कोई निर्णय ले पाएंगे. क्या एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का सामना शिवराज सिंह चौहान कर पाएंगे, ये वे सवाल हैं जिनके जवाब शिवराज सिंह चौहान को अब पूरे देश के सामने देने होंगे.
क्या शिवराज सिंह चौहान होंगे कामयाब?
लेकिन शिवराज सिंह चौहान अकेले कोई निर्णय लेने की हालत में नहीं हैं. किसान आंदोलन को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह क्या सोचते हैं, उसे देखते हुए ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को कोई निर्णय लेना होगा. इसलिए राजनीतिक पंडितों द्वारा किसान आंदोलन को शिवराज सिंह चौहान की अग्निपरीक्षा बताया जा रहा है. देखना होगा कि क्या शिवराज सिंह चौहान इस कठिन अग्निपरीक्षा में पास होंगे या नहीं. अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो भी देखें.