इंदौर
इंदौर शहर में इस साल अब तक डेंगू के 132 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा जुलाई महीने में रिकॉर्ड 50 मामले सामने आ चुके हैं. बढ़ते मामलों से चिंतित स्वास्थ्य विभाग ने इसके रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है.
बीते मंगलवार (16 जुलाई) को इंदौर में डेंगू के नौ मामले दर्ज किए गए थे. मानसून शुरू होने के साथ ही शहर में जानलेवा वेक्टर जनित बीमारियां बढ़ रहे हैं. जिसमें डेंगू सबसे आम होता जा रहा है.
11 बच्चे भी हैं डेंगू से पीड़ित
इस साल कुल 132 मामलों में से 9 मरीज ऐसे हैं, जो पिछले दो दिनों में डेंगू की चपेट में आए हैं. 9 नए मामलों में से सात मरीज पुरुष और दो महिलाएं हैं, इसके अलावा उनमें से एक बच्चा है.
जहां तक डेंगू के मामलों की बात है, तो 132 मामलों में से 72 पुरुष और 60 महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं. इनमें से 11 बच्चे हैं. आने वाले दिनों में डेंगू के और मामले सामने आ सकते हैं.
सावधानी रोकथाम में असरकारक
डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं. यह मुख्य रूप से लोगों पर निर्भर करता है कि वे जलभराव को रोकें और बीमारी से बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. फिलहाल शहर में 12 सक्रिय मामले हैं और सब घर पर ही इलाज करा रहे हैं.
जिला स्वास्थ्य विभाग के जरिये मानसून के मौसम की शुरूआत में ही डेंगू को लेकर एडवाइजरी जारी किया गया था. इस एडवाइजरी में बताया गया कि डेंगू से निपटने के लिए सावधानी सबसे असरकारक है.
प्रेगनेंसी में डेंगू होने पर बना रहता है खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट मुताबिक, अगर किसी महिला को प्रेगनेंसी के दौरान डेंगू का संक्रमण होता है, तो उसके साथ साथ पेट में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है.
डेंगू होने पर मां के पेट में पल रहे बच्चे को लो बर्थ रेट का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा डेंगू होने पर अजन्मे बच्चे को हैमरेज यानी दिमाग में ब्लीडिंग का भी रिस्क बढ़ जाता है.
अगर मां को डेंगू हो गया है तो आशंका है कि बच्चे की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो जाए. इसके अलावा डेंगू अगर बिगड़ जाए तो पहली तिमाही में गर्भपात का खतरा भी पैदा हो जाता है.
बता दें, मां को डेंगू होने पर बच्चे में वर्टिकल ट्रांसमिशन जैसे fluctuate के भी रिस्क काफी बढ़ जाते हैं. डेंगू की भयावहता को देखते हुए इससे बचावा और रोकथाम ही सबसे कारगर इलाज है.