इंदौर
शासन की अनुमति के अभाव में नगर निगम की बकाया जलकर वसूलने के लिए प्रस्तावित वन टाइम सेटलमेंट योजना फिलहाल अटक गई है। इधर योजना लागू होने का इंतजार कर रहे उपभोक्ता जल कर ही जमा नहीं कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आज नहीं तो कल शासन इस योजना को स्वीकृति दे ही देगा और फिर वे बकाया जलकर की 50 प्रतिशत राशि जमा कर अपना खाता नियमित करवा लेंगे। इस पूरी कवायद में नुकसान इंदौर नगर निगम का हो रहा है। न उसे नियमित जलकर मिल रहा है न बकाया जलकर वसूलने के लिए प्रस्तावित की गई योजना का लाभ।
अब तक जमीन पर नहीं उतरी योजना
नगर निगम की वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत नल कनेक्शनधारी उपभोक्ताओं को यह सुविधा देने का प्रस्ताव है कि वे वर्ष 2022-23 तक के बकाया जलकर का 50 प्रतिशत (आधा) जलकर एक मुश्त जमा कर वर्ष 2023-24 से अपना खाता नियमित करवा सकते हैं। इस योजना के तहत नगर निगम को शहर से 100 करोड़ रुपये जमा होने की उम्मीद है। इस योजना को 5 फरवरी 2024 से शुरू किया जाना था, लेकिन यह अब तक जमीन पर नहीं उतर सकी। दरअसल निगम ने अपनी तरफ से इस योजना का प्रस्ताव शासन को भेज दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते इसे स्वीकृति नहीं मिल सकी थी। चुनाव के बाद निगम को उम्मीद थी कि योजना को शासन से हरी झंडी मिल जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
बकाया 50 प्रतिशत पर अटकी है बात
इंदौर में हजारों नल कनेक्शनधारी उपभोक्ता ऐसे हैं जो जलकर ही जमा नहीं कर रहे हैं। निगम द्वारा ऐसे उपभोक्ताओं से बकाया जलकर वसूलने के लिए ही यह योजना प्रस्तावित की गई थी। योजना के तहत बकाया कर का पचास प्रतिशत उपभोक्ता से लेकर और पचास प्रतिशत की मदद शासन से ली जाना थी। शासन से अनुमति नहीं मिलने का अर्थ है कि शासन ने फिलहाल 50 प्रतिशत बकायाकर की राशि देने को हरी झंडी नहीं दी है।
लोक अदालत में भी नजर आया असर
वन टाइम सेटलमेंट योजना को स्वीकृति नहीं मिलने का असर हाल ही में आयोजित नगर निगम की लोक अदालत में भी देखने को मिला था। निगम के अधिकारियों को उम्मीद थी कि लोक अदालत में जलकर के रूप में कम से कम तीन करोड़ रुपये वसूल हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जलकर का आंकड़ा 30 लाख के आसपास ही अटक गया।