मुजफ्फरनगर
कांवड यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों के नाम व उनके मालिकों के नाम लिखने के मुजफ्फरनगर एसएसपी के आदेश के बाद उठे राजनीतिक भूचाल के बीच कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों के सही नाम व अपने नाम भी लिखने शुरू कर दिये है, जिसमें मुजफ्फरनगर का संगम होटल भी शामिल है।
इसके अलावा कई अन्य दुकानें व फल विक्रेता अपना सही नाम लिखने में जुट गये है। विपक्ष ने इस आदेश को बडा मुूद्दा बना लिया है। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने भी स्पष्ट आदेश जारी किये है कि कांवड यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों के नाम व दुकान मालिकों के नाम हर हाल में लिखने होंगे। इसके अलावा सभी होटल, ढाबो, रेस्टोरेंट, चाय की दुकान व फल विक्रेताओं को भी अपने नाम लिखने के निर्देश दिये गये है। जिसके बाद मुज़फ्फरनगर में कई दुकानों के नाम बदले गए , संगम ढाबा का नाम सलीम भोजनालय, चाय लवर पॉइंट का नाम अहमद टी स्टॉल कर दिया गया।
प्रदेश सरकार के आदेशों के अनुपालन में सहारनपुर रेंज के डीआईजी अजय साहनी ने रेंज के तीनों जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर व शामली के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिये है कि इस आदेश का सख्ती से पालन कराया जाये। यूपी सरकार के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी इसी प्रकार का आदेश जारी किया है, जिसमें खाने-पीने की वस्तुओं की बिक्री करने वाले सभी दुकानदारों को अपना व अपनी दुकान का नाम लिखने के लिये कहा गया है।
आज देर शाम मेरठ जोन के एडीजी ध्रुवकांत ठाकुर ने भी कांवड मार्ग पर होटल और ढाबों के संचालकों को अपने नाम लिखने के आदेश दिये है। पुलिस का कहना था कि यह कोई नया आदेश नहीं है, बल्कि यह पुराना आदेश है, जिसे नये सिरे से लागू कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांवड यात्रा के दौरान कांवड रूट पर जो भी इस तरह के खाद्य व पेय पदार्थों की दुकानेें है, जहां कांवड़िये भोजन ग्रहण करते है, उन सभी दुकानों पर मालिक का नाम और वहां काम करने वाले कर्मचारियों का नाम लिखा जाये, ताकि कोई भ्रम की स्थिति पैदा न हों। कांवडिया नाम देखकर तय करें कि उसे वहां भोजन करना या नहीं, जिससे उन्हें कोई दिक्कत न हों। इस आदेश का पूरा पालन जोन में कराया जायेगा।
उन्होंने बताया कि विगत वर्षो में ऐसी घटनाएं हुई है, जब कावंडियों ने रास्ते में पडने वाले होटल पर भोजन ग्रहण किया और बाद में पता चला कि यह होटल अथवा ढाबा मुस्लिम का है, जिससे उनमें रोष फैल गया था। इस बार कानून व्यवस्था व शांति बनाये रखने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि बीती रात छपार थाना क्षेत्र में हाईवे पर गांव परई के बाहर बने एक ढाबे पर ऐसी ही एक घटना हुई है, जहां पर मना करने के बावजूद कारीगर ने सब्जी में प्याज डाल दी, जिससे कांवडिये आक्रोशित हो गये और उन्होंने वहां पर तोडफोड कर दी। ढाबा मालिक व कारीगरों को पिछले रास्ते से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। पुलिस ने मौके पर पहुुंचकर बडी मुश्किल से मामला संभाला।
मुजफ्फरनगर में 4 मुस्लिम कर्मचारियों को ढाबे से हटाया, ढाबा मालिक ने कहा-प्रशासन ने हटवाया
कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने जा रही है। कांवड़ मार्ग पर स्थित होटल या ढाबों के प्रोपराइटर का बोर्ड लगाने पर विवाद जारी है। पुलिस-प्रशासन के इस आदेश के बाद होटल और ढाबों से एक विशेष समुदाय के कर्मचारियों को हटाया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर जिले में एनएच-58 बाईपास पर स्थित ‘साक्षी ढाबा’ से चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है। ढाबे के मालिक लोकेश ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि ”प्रशासन के लोग मेरे ढाबे पर आए थे और उन्होंने प्रोपराइटर के नाम का बोर्ड ढाबे के बाहर लगाने का निर्देश दिया। चार कर्मचारियों में से दो कारीगर थे, एक चाय के स्टॉल पर और एक कैंटीन में था।
ढाबा मालिक लोकेश ने आगे कहा, ”होटल, ढाबों के बाहर प्रोपराइटर के नाम का बोर्ड लगवाना यह प्रशासन की अपनी समझ है। कांवड़ यात्री किस होटल और ढाबे पर खाना खाएंगे, ये उनकी मर्जी है,। मुझे उनकी फिक्र हो रही है। अब वो बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में वो युवक घर बैठे रहेंगे तो उनके खाने की व्यवस्था कैसे होगी?” वहीं राजनीतिक पार्टी के नेता भी इसका विरोध कर रहे हैं।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ”ढाबा और होटल जैसी जगहों के बाहर अपने मजहब की पहचान बताना, संविधान के आर्टिकल-17 (छूआछूत), आर्टिकल-21 (जीने का अधिकार) और आर्टिकल-19 (जीवन यापन) का उल्लंघन है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है।”