नई दिल्ली
ग्रामीण भारत में एकीकृत और सतत विकास सरकार की रणनीति का केंद्र है और इसी के तहत पीएम-आवास-ग्रामीण में पिछले नौ वर्षों में 10 जुलाई 2024 तक गरीबों के लिए 2.63 करोड़ घरों का निर्माण किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में यह बात कही। विकेंद्रीकृत नियोजन, ऋण तक बेहतर पहुंच, महिलाओं का सशक्तिकरण, बुनियादी आवास और शिक्षा आदि के माध्यम से समग्र आर्थिक बेहतरी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय समावेशन के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। बुनियादी सुविधाओं के मामले में, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत 11.57 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया और इस वर्ष 10 जुलाई तक जल जीवन मिशन के तहत 11.7 करोड़ घरों को नल के पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया। सर्वेक्षण में बताया गया है कि पीएम-आवास-ग्रामीण में पिछले नौ वर्षों में (10 जुलाई 2024 तक) गरीबों के लिए 2.63 करोड़ घरों का निर्माण किया गया।
इसके अलावा, 26 जून 2024 तक प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत 35.7 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में, 1.58 लाख उपकेंद्रों और 24,935 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में लीकेज को खत्म करने के लिए, काम से पहले, काम के दौरान और काम के बाद जियोटैगिंग की जा रही है और 99.9 प्रतिशत भुगतान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से किया जा रहा है। मनरेगा ने सृजित व्यक्ति-दिवस और महिला भागीदारी दर के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें सृजित व्यक्ति-दिवस 2019-20 में 265.4 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 309.2 करोड़ हो गए हैं और महिला भागीदारी दर 2019-20 में 54.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 58.9 प्रतिशत हो गई है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि मनरेगा स्थायी आजीविका विविधीकरण के लिए परिसंपत्ति निर्माण कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ है, जैसा कि वित्त वर्ष 2013-14 में कुल पूर्ण किए गए कार्यों के 9.6 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2023-24 में 73.3 प्रतिशत तक व्यक्तिगत लाभार्थी ‘व्यक्तिगत भूमि पर काम’ की हिस्सेदारी में वृद्धि में देखा जा सकता है।
सरकार किफायती वित्त तक निर्बाध पहुँच और आकर्षक बाज़ार अवसर पैदा करने पर विशेष ध्यान देने के साथ जीवंत योजनाबद्ध हस्तक्षेपों को लागू करके ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना जारी रखती है। दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), लखपति दीदी पहल और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सृजन और वित्त तक आसान पहुँच को बढ़ाया है।
ई-ग्राम स्वराज, स्वामित्व योजना, भू-आधार जैसी डिजिटलीकरण पहलों ने ग्रामीण शासन में सुधार किया है। स्वामित्व योजना के तहत 2.90 लाख गांवों का ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और 1.66 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2015 से 2021 के बीच ग्रामीण इंटरनेट सब्सक्रिप्शन में 200 प्रतिशत की वृद्धि से गांव और प्रशासनिक मुख्यालय के बीच की दूरी कमी हो सकती है, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।