गुवाहाटी
असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष राकेश कुमार पॉल और 31 अन्य अब जेल जाएंगे। विशेष अदालत ने उन्हें राज्य में कृषि विकास अधिकारियों (एडीओ) की नियुक्ति से जुड़े पैसे लेकर नौकरी देने के मामले में दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश दीपांकर ठाकुरिया ने भांगागढ़ पुलिस थाने में 2017 में दर्ज मामले में सबूतों के अभाव में 11 अन्य को बरी कर दिया, जबकि एपीएससी की एक सदस्य बिनीता रयांझा सरकारी गवाह बन गईं।
इस मामले में कुल 44 आरोपी थे, जिनमें आयोग के चार सदस्य और एक कर्मचारी, तीन बिचौलिए और 36 अभ्यर्थी शामिल थे। पॉल के साथ आयोग के दो अन्य सदस्यों, बसंत कुमार डोले और सामेदुर रहमान तथा अन्य अधिकारियों को एडीओ भर्ती परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के अंकों में हेराफेरी करने के मामले में दोषी ठहराया गया है।
न्यायाधीश ने एपीएससी के एक कर्मचारी, तीन बिचौलियों और सात अभ्यर्थियों को बरी कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी/दोषी व्यक्तियों की सजा सभी आरोपियों/दोषियों की सुनवाई करने के बाद सुनाई जाएगी।
सेंट्रल जेल भेजे गए
जज ने आदेश दिया कि दोषी व्यक्तियों को न्यायिक हिरासत में लिया जाना चाहिए, जिसके बाद 32 दोषी व्यक्तियों को गुवाहाटी केंद्रीय कारागार भेज दिया गया। न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि जिन सात उम्मीदवारों को बरी किया गया है, वे भी बेदाग नहीं थे, लेकिन उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए उन्हें संदेह का लाभ मिला है।
जज ने क्या कहा
जज ने कहा कि दोषियों ने असम कृषि सेवा नियम 1980 की अवहेलना करने के लिए एपीएससी की आलोचना की। नौकरी पाने में असफल रहे एक अभ्यर्थी ने शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पैसे लेकर अन्य अभ्यर्थियों के अंक बढ़ा दिए गए। न्यायाधीश ने कहा कि पूरी साक्षात्कार प्रक्रिया एक मजाक थी। सुनवाई मंगलवार को भी जारी है।
सिविल, पुलिस और अन्य अधिकारियों की भर्ती के लिए संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (सीसीई) से संबंधित ‘पैसे लेकर नौकरी देने’ के एक अन्य मामले में पॉल को एपीएससी के अन्य सदस्यों और अधिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया था।