नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार (23 जुलाई) को संसद में अपना सातवां बजट पेश करते हुए सबसे ज्यादा केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाएंगी. ऐसा करके वह पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के छह बजट के रिकॉर्ड को तोड़ देंगी. देसाई प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के अधीन वित्त मंत्री थे और बाद में वह 1977 में भारत के प्रधानमंत्री बने.
स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शनमुगम चेट्टी ने 197.1 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। पिछले वित्तीय वर्ष में यह बढ़कर ₹47.65 लाख करोड़ हो गया. पहले बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे था. हालांकि, तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में बजट प्रस्तुति के लिए 11 बजे का समय चुना था, जो अब तक जारी है.
कैबिनेट ने लगाई बजट पर मुहर, कुछ देर में पेश करेंगी निर्मला सीतारमण
बजट पेश किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक पूरी हो चुकी है। खबर है कि कैबिनेट ने बजट पर मुहर लगा दी है। सोमवार को ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2023-24 पेश की थी।
कर दाताओं को राहत देगी सरकार, बजट से क्या उम्मीदें
टैक्स को लेकर आम जनता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से खासी उम्मीदें लगाए हुए हैं। कहा जा रहा है कि आम कर दाता टैक्स रिबेट्स, नए और पुराने टैक्स स्लैब में बदलाव, स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा और 80सी और 80डी की ऊंची लिमिट की उम्मीद कर रहे हैं। साथ ही NPS और PPF में भी कुछ बदलावों की उम्मीद की जा सकती है।
PM भी कर चुके हैं आम बजट पेश
लोकसभा सचिवालय के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे उदाहरण हैं जब वित्त मंत्री ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया. लोकसभा के एक दस्तावेज में कहा गया है, ‘भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के रूप में काम करते हुए और अस्थायी रूप से वित्त पोर्टफोलियो को संभालते हुए वित्तीय वर्ष 1958-59 के लिए बजट पेश किया था.’ वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री के रूप में काम करते हुए इंदिरा गांधी ने वित्त वर्ष 1969-70 के लिए बजट पेश किया.
दस्तावेज में कहा गया है, 2019 में, ‘तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य के कारण, उस साल का बजट उनके सहयोगी मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था. रेलवे एकमात्र ऐसा मंत्रालय था जिसका अपना अलग बजट था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया.’
लोकसभा में बजट पेश होने के बाद, वित्त मंत्री राज्यसभा में बजट दस्तावेज भी पेश करते हैं. भले ही उच्च सदन के पास बजट को मंजूरी या अस्वीकार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. बजट चर्चा के बाद मंत्रालय-विशिष्ट आवंटन या अनुदान की मांग पर बहस होती है. अनुदान की मांगों पर चर्चा के अंत में, ऐसी सभी मांगों को एक साथ लिया जाता है और गिलोटिन नामक प्रक्रिया से पारित किया जाता है.