ब्यूनस आयर्स
अर्जेंटीना में इस साल अब तक डेंगू के पांच लाख 27 हजार से अधिक मामले दर्ज किये गए।स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 3.2 गुना अधिक मामले दर्ज किये गये हैं, हालांकि हाल में मामलों में कमी आई है।
अध्यक्ष ने कहा कि कुपोषण को "पूरी तरह से टाला जा सकता है। वेइच ने कहा कि यूनिसेफ इन चुनौतियों से निपटने के लिए फिजी के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा कि माता-पिता को उचित पोषण के बारे में शिक्षित करना और यह सुनिश्चित करना कि बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व मिलें, इस समस्या से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
मंत्रालय के जारी नवीनतम राष्ट्रीय महामारी विज्ञान बुलेटिन के अनुसार, इस वर्ष के पहले 28 हफ्तों में स्वास्थ्य अधिकारियों ने 527,517 मामले दर्ज किए।
शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल डेंगू से अब तक 401 मरीजों की मौत हो चुकी है। मध्य क्षेत्र में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, जो कुल मामलों का 60 प्रतिशत है। उत्तर-पश्चिम में 24.9 प्रतिशत और उत्तर-पूर्व में 13 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में प्रति एक लाख निवासियों पर 1,157 मामले है। पिछले 14 सप्ताह से प्रति लाख निवासियों पर मामलों की दर में कम आ रही है।
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा
इसके पीछे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है. पिछले 30 सालों में लैटिन अमेरिकी क्षेत्र का तापमान हर दशक में 0.2 डिग्री सेल्सियस की रफ्तार से बढ़ता चला गया. स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन लैटिन अमेरिका एंड कैरेबियन की 2022 की रिपोर्ट बढ़ते तापमान पर ये डेटा देती है. क्लाइमेट चेंज से सिर्फ गर्मी ही नहीं बढ़ रही, बल्कि मच्छर भी बढ़ रहे हैं. यहां बता दें कि मच्छरों की ज्यादातर स्पीशीज गर्म तापमान पर बढ़ती हैं. यही वजह है कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में हालत खराब हो रही है.
यहां बहुत कम ही हिस्से बाकी रहे, जहां ठंड में भी तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के नीचे जाए. ये वो तापमान है, जिसमें मच्छर खत्म हो जाते हैं. चूंकि ये देश इस टेंपरेचर तक ही नहीं पहुंच पा रहे, लिहाजा यहां मच्छर पनपते ही जा रहे हैं.
अल-नीनो पैटर्न भी मच्छरों की ब्रीडिंग बढ़ा रहा
डेंगू फीवर की एक वजह अल नीनो भी है. अल नीनो मौसम का वो पैटर्न है, जिसकी वजह से भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह के पानी में असामान्य बढ़त हुई. इससे पूरे क्षेत्र में ही तापमान और ज्यादा हो गया. इसका असर मच्छरों की ब्रीडिंग पर भी हुआ. कैरेबियन और लैटिन अमेरिका में मौसम के इस पैटर्न की शुरुआत पिछले साल ही हुई थी.
साफ-सफाई का ध्यान न रखना भी बना कारण
मौसम में उठापटक के बीच कई और बातें हुईं. जैसे कभी भी बारिश हो जाना, या समुद्र के स्तर का बढ़ना. इसकी वजह से पानी जमा होने लगा, जिसने मच्छरों को ब्रीडिंग के मौके दे दिए. वैसे इन देशों में छतें फ्लैट होती हैं, जहां पानी जमा हो जाता है. गरीबी से जूझते इन देशों में बेसिक साफ-सफाई पर ध्यान कम ही जाता है. इसके अलावा पाइपलाइनों की कमी के चलते लोग टंकियों में पानी जमा करते हैं. ये भी मच्छरों के पनपने का कारण बनता है.
क्यों नहीं आ रही वैक्सीन
लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में डेंगू के कहर को देखते हुए वैक्सीन की जरूरत और गंभीर हो चुकी. हालांकि इसमें कई प्रैक्टिकल दिक्कतें हैं. वो क्या हैं, ये समझने से पहले एक बार डेंगू को जानते चलें. ये विषाणुजन्म बीमारी है, जो एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है. चूंकि आमतौर पर इसके लक्षण 10 दिनों तक सामने नहीं आते, ऐसे में संक्रमित शख्स से बीमारी मच्छरों के जरिए दूसरों तक फैलती चली जाती है.
एक वैरिएशन पर दूसरी वैक्सीन नाकाम
डेंगू के 4 वैरिएशन हैं, यानी चार अलग तरह का फीवर हो सकता है. जब किसी को एक तरह का फीवर होकर ठीक हो जाए, तो उसमें उस खास वैरिएशन के लिए एंटीबॉडी होगी, लेकिन तीन और टाइप होंगे, जिनसे वो अब भी बीमार हो सकता है. ऐसे में अगर वैक्सीन बन भी जाए तो एक टाइप पर ही काम करेगी. यहां बता दें कि कई वायरल बीमारियों से अलग डेंगू के वैरिएशन एक-दूसरे से इतने अलग हैं, उनमें एक वैक्सीन दूसरे से प्रोटेक्ट नहीं कर सकती. जैसे कोरोना को ही तो उसके अलग-अलग वैरिएंट पर भी एक ही वैक्सीन कारगर रही, लेकिन डेंगू के मामले में ऐसा नहीं है.
क्या वैक्सीन लगाने पर ज्यादा खतरे!
कई देशों ने डेंगू फीवर की वैक्सीन बनाई भी, लेकिन ये न तो उतनी कारगर है, न ही यूनिवर्सली-स्वीकार्य है. साल 2015 में मैक्सिको ने डेंगू की पहली वैक्सीन बनाई. दो ही सालों के भीतर कई देशों ने इसे अप्रूव भी कर दिया, लेकिन फिर इसपर शक जताया जाने लगा. डेंगू बाकी वायरल बीमारियों से अलग तरीके से काम करता है. दूसरी बीमारियों में एंटीबॉडी के लिए वैक्सीन लगने से उस बीमारी के गंभीर होने का खतरा बहुत कम हो जाता है, वहीं डेंगू एंटीबॉडी के जरिए ही स्वस्थ कोशिकाओं तक पहुंच जाता है और उन्हें भी संक्रमित कर सकता है.
क्या कहती है रिसर्च
ग्लोबल फार्मा कंपनी सनोफी और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का रिसर्च डेटा कहता है कि जिन लोगों को कभी डेंगू न हुआ हो, वे अगर इसकी वैक्सीन ले लें तो उन्हें पहली बार होने वाला डेंगू संक्रमण काफी गंभीर हो सकता है. ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन सलाह देता है कि मच्छरों से बचें और संक्रमण हो ही जाए तो ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लेते हुए बुखार और दर्द की दवाएं लें.
कई और देश भी डेंगू फीवर के लिए वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनका वैरिएशन ही इसमें रुकावट बन रहा है.
डेंगू के लक्षण:
तेज बुखार: डेंगू बुखार के लक्षणों में से एक है अचानक तेज बुखार आना, जो आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहता है। बुखार के साथ अक्सर तेज पसीना आना और ठंड लगना भी होता है।
गंभीर सिरदर्द: डेंगू बुखार में अक्सर गंभीर सिरदर्द होता है, जो कमज़ोर कर सकता है। ये सिरदर्द ललाट या रेट्रो-ऑर्बिटल (आंखों के पीछे) हो सकते हैं और अक्सर धड़कन या तेज़ दर्द के रूप में वर्णित किए जाते हैं।
आंखों के पीछे दर्द: डेंगू बुखार से पीड़ित कई लोगों को आंखों के पीछे दर्द होता है, जिसे रेट्रो-ऑर्बिटल दर्द के रूप में जाना जाता है। यह लक्षण अक्सर आंखों की हरकतों से बढ़ जाता है।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: डेंगू बुखार में आमतौर पर मांसपेशियों और जोड़ों में बहुत दर्द होता है, जिसे अक्सर "हड्डी तोड़ बुखार" कहा जाता है क्योंकि इससे बहुत तकलीफ होती है। दर्द स्थानीय या सामान्य हो सकता है और कई दिनों तक बना रह सकता है।
खुद को सुरक्षित रखने के लिए सुझाव
मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें
डेंगू बुखार से बचाव का सबसे कारगर तरीका मच्छर भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करना है। इन क्रीमों को दिन में 3 बार से ज़्यादा नहीं लगाना चाहिए और सुरक्षा की अवधि आमतौर पर ब्रांड के आधार पर अलग-अलग होती है।
पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें
पूरे कपड़े पहनें जो आपको पूरी तरह से ढक सकें। सैंडल की जगह लंबी आस्तीन वाली शर्ट, लंबी पैंट और बंद पैर के जूते पहनें।
खिड़कियाँ और दरवाज़े बंद रखें
डेंगू वायरस फैलाने वाले मच्छर सुबह से शाम तक सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं और इस दौरान खिड़कियां और दरवाजे बंद रखते हैं।
आस-पास का वातावरण साफ रखें
कूड़ेदान को हमेशा साफ रखें। मच्छरों से बचने के लिए उसमें गंदगी जमा न होने दें।