नई दिल्ली
नीट-यूजी पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि यह परीक्षा दोबारा नहीं कराई जा सकती क्योंकि बड़ी गड़बड़ी साबित नहीं हो सकी है। कोर्ट ने कहा कि फिर से परीक्षा कराना ठीक नहीं होगा और यह 24 लाख छात्रों के भविष्य का मामला है।
चीफ जस्टिस की बेंच ने फैसला सुरक्षित करते हुए कहा था कि इन मामलों में इस न्यायालय के समक्ष उठाया जा रहा मुख्य मुद्दा यह है कि इस आधार पर पुनः परीक्षण (Re-Test) आयोजित करने का निर्देश जारी किया जाए कि प्रश्नपत्र लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत खामियां थी. नीट यूजी परीक्षा 571 शहरों के 4750 केंद्रों के अलावा 14 विदेशी शहरों में आयोजित की गई थी.
सीजेआई ने आदेश की शुरुआत में मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों की व्यापक दलीलें दर्ज कीं. उन्होंने कहा कि 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्र प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि 50 प्रतिशत कट ऑफ का प्रतिशत दर्शाता है. परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है. यह प्रस्तुत किया गया कि पेपरलीक प्रकृति में प्रणालीगत था और संरचनात्मक कमियों के साथ मिलकर कार्रवाई का एकमात्र स्वीकार्य तरीका री-टेस्ट करना होगा. लेकिन, परीक्षा की पवित्रता भंग होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
क्या है पूरा मामला
NEET का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रो का आक्रोश सामने आया था. सबसे पहले इस परीक्षा में बिहार में पेपर लीक की खबर ने तूल पकड़ा था. उसके बाद रिजल्ट आने पर परीक्षा में 67 टॉपर और एक ही परीक्षा केंद्र से कई टॉपर आना, एक सवाल के दो उत्तर, ग्रेस मार्क्स जैसे प्वाइंट्स किसी को हजम नहीं हो रहे थे. उसी दौरान नेशनल टेस्टिंंग एजेंसी पर भड़के छात्रों ने पूरे देश में रिजल्ट में हेरफेर और पेपरलीक को लेकर प्रदर्शन किया.
परीक्षा में पेपर लीक के संदेह पर देशभर के हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिकाओं का सिलसिला शुरू हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुनने की कार्यवाही शुरू हुई. इस सुनवाई में बिहार पेपर लीक से लेकर हजारीबाग, सीकर और गोधरा तक के मामलों की जांच, एक सवाल के दो उत्तर, सीबीआई जांच जैसे सभी मुद्दों पर बहस हुई. सर्वोच्च अदालत की बेंच ने सभी पहलुओं पर बहस सुनने के बाद यह तय किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला देना होगा, क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते. इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है.