नई दिल्ली
देश में बढ़ते कैंसर के मरीजों को देखते हुए इस बार बजट में भी कैंसर की दवाइओं को सस्ता करने के लिए कदम उठाए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि सरकार कैंसर के इलाज को सुलभ बनाने और मरीजों की सुविधा के लिए सारे प्रयास कर रह है। लोकसभा में एक सप्लिमेंट्री सवाल का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि कैंसर के मरीजों को आसानी से इलाज और दवाइयां मिल सकें।
उन्होंने कहा, देश में हर साल कैंसर के 2.5 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरुषों में मुंह के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के मरीज ज्यादा हैं वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादा केस पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हर साल लगभग 15.5 लाख कैंसर के मामले आ रहे हैं। कैंसर की बीमारी के लिए 131 जरूरी दवाएं हैं जिनकी कीमत की निगरानी सरकार करती है। ये आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाएं हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर की दवाइयों की सुलभता को सुनिश्चित करने के लिए हमने हर प्रयास किए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने पर जोर दे रही है जिससे कि डॉक्टरों की संख्या में इजाफा हो। वहीं चिकित्सा शिक्षा की क्वालिटी और क्वांटिटी में भी बैलेंस होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे जो कि अब 731 हो गए हैं। वहीं एमबीबीएस सीट में भी 1.12 लाख का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया में फार्मेसी का केंद्र बन गया है और भारत में बन रही दवा की पूरी दुनिया में मांग है। दुनिया भर की दवा कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं और इस क्रम को आगे बनाए रखने के सारे प्रयास किए जाएंगे। अध्यक्ष ओम बिरला ने भी हस्तक्षेप करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि वह जिस देश में जाते हैं भारतीय दवाइयों की प्रशंसा और उसकी मांग की बात उन्होंने वहां देखी है।
नड्डा ने दवाओं की गुणवत्ता से संबंधित एक सवाल पर कहा कि जो दवाइयां निर्यात होती हैं उनके सैंपल का यहां भी परीक्षण होता है और जहां जाती है वहां भी उनका परीक्षण होता है। अफ्रीकी देशों में भारत की खांसी की दवा की गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसा ना हो इस पर ध्यान दिया जाएगा।