भोपाल
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में अब फोरेंसिक मामलों की जांच भी हो सकेगी। इसके लिए फोरेंसिक हिस्टोपैथोलाजी लैब की स्थापना की गई है। इस जांच से मौत के कारणों की सही जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इससे पुलिस को उलझे हुए मामले सुलझाने में मदद मिलेगी।
प्रदेश के किसी भी जिले की पुलिस आवश्यकता पड़ने पर इस लैब की मदद ले सकेगी। एम्स में इस लैब को शवगृह परिसर में स्थित किया गया है। इससे फोरेंसिक मेडिसिन की क्षमताएं मजबूत होंगी। इस लैब में नए-नए शोध भी होंगे। उन्नत तकनीक का भी उपयोग किया जाएगा।
माइक्रोबॉयोलाजी पोस्टमार्टम भी शुरू
एम्स भोपाल में माइक्रोबायोलाजी पोस्टमार्टम भी शुरू किया गया है। इस तरह की सुविधा बहुत कम देशों में है। माइक्रोबॉयोलाजी पोस्टमार्टम की सुविधा यूरोप के कुछ देशों में है। इस प्रक्रिया के माध्यम से शव के मष्तिस्क से खून निकाला जाता है और इसका बारीकी से अध्ययन किया जाता है।
मौत की मिलेगी सही जानकारी
इसकी रिपोर्ट भी अलग से तैयार होती है। उस रिपोर्ट का अध्ययन कर संबंधित व्यक्ति की मौत के कारणों का पता लगाया जा सकता है। संबंधित व्यक्ति की अगर किसी बीमारी से मृत्यु हुई है तो उसकी भी सही जानकारी इस जांच से पता चल जाती है। यह जांच एम्स के लिए उपयोगी साबित हो रही है।