इस्लामाबाद
पाकिस्तान से धार्मिक यात्रा के लिए इराक गए करीब 50 हजार लोग गायब हो गए हैं। पाकिस्तान सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री चौधरी सालिक हुसैन ने इसकी जानकरी दी है। चौधरी ने बुधवार को पाकिस्तानी सीनेट समिति की एक बैठक में माना है कि इराक से करीब 50,000 पाकिस्तानी तीर्थयात्री वापस नहीं लौटे और वहीं 'गायब' हो गए हैं। हालांकि उन्होंने इसके पीछे की वजह और उनकी ओर से की गई कार्रवाई के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। दूसरी ओर इराकी सरकार का मानना है कि लापता पाकिस्तानी उनके देश में अवैध रूप से काम करने के लिए रुक रहे हैं।
मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लाखों विदेशी तीर्थयात्री इराक आते हैं। खासतौर से अरबाईन और आशूरा पर शिया मुस्लिम इराक आते हैं। शियाओं के लिए अरबाईन की तीर्थयात्रा खास अहमियत रखती है क्योंकि ये कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के नाती हुसैन की शहादत को चिह्नित करती है। ऐसे में यहां दुनियाभर से लोग आते हैं और ये संख्या करोड़ों में होती है। पाकिस्तान के शिया अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य उन लोगों में से हैं, जो नियमित रूप से इराक आकर तीर्थयात्रा में भाग लेते हैं।
इराक में गायब लोगों की जांच करेगी पाक सरकार
इराक के श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री अहमद अलअसदी ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार उन रिपोर्ट की जांच करेगी, जो लापता लोगों के उनके देश में अवैध रूप से काम करना का इशारा करती हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, 'पिछले दिनों इराक में विभिन्न देशों से पर्यटकों की आमद देखी गई है, जिनमें पाकिस्तानी भी शामिल हैं। उनमें से कई ने आवश्यक कानूनी परमिट के बिना यहां काम करना शुरू कर दिया है। इराक दुनिया के सभी पर्यटकों का स्वागत करता है लेकिन स्थानीय कानूनों और नियमों का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर देता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में इराक में 688 पाकिस्तानी रह रहे थे लेकिन जमीन पर यह संख्या बहुत अधिक होने का संकेत मिलता है। इस पर दोनों देशों की सरकारों का भी ध्यान है। इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तान और इराक ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जिसका उद्देश्य पाकिस्तानियों के लिए इराक के लिए कार्य वीजा प्राप्त करना आसान बनाना था। जिससे कानूनी आव्रजन को बढ़ावा मिले और इराक में अवैध प्रवेश को कम किया जा सके।