किसी उत्सव के समय अथवा दीपावली पर अनेक व्यक्ति अपने घर-कार्यालय की रंगाई-पुताई कराते हैं। अगर वास्तु, फैंगशुई, ग्रह-नक्षत्र और राशियों के अनुसारघर को रंगाया-पुताया जाए तो यह व्यक्ति के अच्छे भाग्य की शुरुआत होती है, शुभ रंग सौभाग्य लक्ष्मी को आकर्षित करते हैं। ज्योतिष सिद्धान्तानुसार प्रत्येक ग्रह तथा राशि का विशेष रंग से संबंध होता है। जातक की जन्मकुण्डली में स्थित उसके ग्रह-नक्षत्र तथा रंगों में असंतुलन होने से विकार तथा कष्ट उत्पन्न हो जाते हैं, इन तथ्यों को ध्यान में रखकर प्रत्येक ग्रह से जुड़े रंगों और ग्रहों के असंतुलन एवं विरोधी रंगों का चयन करने से बचाव व्यक्ति को अन्जान भय, कष्ट से मुक्ति दिलाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जन्मकुण्डली के योगकारक ग्रह और उसके ऊपर चल रही दशा-महादशा के अनुसार से अपने घर में उन ग्रहों से सम्बन्धित रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए, जन्मकुण्डली न होने पर सामान्य रूप से विभिन्न कमरों में शुभ रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।
विद्यार्थियों एवं बौद्धिक वर्ग के लोगों के कमरे के लिए पीला रंग – पीला रंग दिमाग को प्रोत्साहित तो करता ही है, साथ ही पाचन क्रिया बढ़ाता है। अच्छी सोच, अच्छी सेहत पाना हो, तो सकारात्मक ऊर्जा के लिए पीले रंग का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। पीला रंग देवगुरू बृहस्पति से जुड़ा हुआ है।
चिकित्सकीय कमरे के लिए हरा रंग – हरा रंग दृष्टिवर्द्धक है, यह उन्माद को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करता है, घाव को भरने में यह जादू-सा असर करता है। संतुलन बनाए रखने के लिए चिकित्सकीय कमरों में हरा रंग का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। हरा रंग बुध ग्रह से जुड़ा हुआ है।
शयनकक्ष, भंडारकक्ष, गैरेज में हो नीला रंग – शयनकक्ष में अच्छी नींद के लिए नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि नीला रंग सोते समय व्यक्ति को शांति प्रदान करता है। नीला रंग करवाने से पहले जन्मकुण्डली में शनि-राहु की स्थिति अवश्य देखनी चाहिए।