नई दिल्ली
पड़ोसी देश चीन चुपचाप वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास लंबे समय से आधारभूत और सैन्य संरचना के विकास में लगा रहा है। अब सैटेलाइट इमैजरी में इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित क्षेत्र में स्थित पैंगोंग झील पर 400 मीटर लंबा पुल बना लिया है। इस पर हाल ही में एक दौड़ती हुई गाड़ी की तस्वीर कैद हुई है। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट इमैजरी में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि हाल ही में इस पुल पर काली पिच बिछाई गई है, ताकि गाड़ियों की आवाजाही को आसान बनाया जा सके।
चीन के इस कदम से भारत हैरान है। यह भारत के लिए सुरक्षा चिंताओं की एक बड़ी वजह है। ऐसी आशंका है कि चीन इस पुल का इस्तेमाल भारत के खिलाफ LAC पर सैन्य मजबूतीकरण के रूप में कर सकता है। चीन संघर्ष के समय इस पुल के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा तक टैंकों और अन्य सैन्य वाहनों को तेजी से ला सकता है और कम समय में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर सकता है। इसके अलावा भारत पर धावा बोलने के लिए भी चीन इस रूट का इस्तेमाल कर सकता है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में स्थित पैंगोंग त्सो झील एक विवादित झील है, जिसका दो-तिहाई हिस्सा LAC के उस पार चीन की तरफ पड़ता है। 2017 से ही यह इलाका भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव और झड़प का स्थल रहा है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। तब पैंगोंग झील के उत्तर में गलवान घाटी में झड़प के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। उस झड़प में चीन ने अपने 4 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया था, जबकि जांच रिपोर्ट में 40 चीनी सैनिको के मारे जाने का खुलासा हुआ था।
जैसे-जैसे दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा है, वैसे-वैसे चीन ने पैंगोंग झील के आसपास अपने सैन्य संरचना को और मजबूत किया है। पैंगोंग झील हिमालय में 14,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, एंडोर्फिक (लैंडलॉक) झील है। 135 किलोमीटर लंबी यह झील बुमेरांग (Boomerang) के आकार में 604 वर्ग KM में फैली हुई है। इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में स्थित है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के बीच से गुरती है। यह खारे पानी की झील है, जो सर्दियों में पूरी तरह से जम जाता है।
क्या है सामरिक महत्व?
इस झील का 45 KM लंबा पश्चिमी भाग भारत के नियंत्रण में, जबकि बाकी हिस्सा चीन के कंट्रोल में है। दोनों सेनाओं के बीच अधिकांश झड़पें झील के विवादित हिस्से में होती हैं। इसके अलावा इस झील का कोई विशेष सामरिक महत्त्व नहीं है लेकिन यह झील चुशूल घाटी के रास्ते में आती है, यह एक मुख्य मार्ग है जिसका चीन द्वारा भारतीय-अधिकृत क्षेत्र में आक्रमण के लिये उपयोग किया जा सकता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान यही वह स्थान था जहाँ से चीन ने भारत पर धावा बोला था। तब भारतीय सेना ने चुशूल घाटी के दक्षिण-पूर्वी छोर के पहाड़ी दर्रे रेज़ांग ला (Rezang La) से वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी।