भोपाल
मध्यप्रदेश में लगातार बारिश होने से शुक्रवार सुबह 7 डैम के गेट खोल दिए गए हैं। भोपाल में कोलार डैम के 4, कलियासोत के 3, भदभदा के 5, नर्मदापुरम में तवा डैम के 5, अशोकनगर में राजघाट के 8, जबलपुर में बरगी के 7 और छिंदवाड़ा में माचागोरा डैम के 4 गेट खोले।
प्रदेश के 6 जिलों भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट है। मौसम विभाग ने 30 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया है। भोपाल और रायसेन के कुछ इलाकों में जलभराव की स्थिति भी बन गई है। तेज बारिश के चलते सीहोर कलेक्टर ने सभी स्कूल और आंगनवाड़ियों की छुट्टी घोषित कर दी है।
मध्यप्रदेश में सीजन की 55% यानी एवरेज 19.7 इंच बारिश हो चुकी है। जून और जुलाई में कोटे से ज्यादा पानी गिरा। अगस्त के पहले ही दिन प्रदेश के 23 जिलों में बारिश हुई। मानसून ट्रफ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से सिस्टम स्ट्रॉन्ग है। यह सिस्टम 5 अगस्त तक पूरे प्रदेश को तरबतर करेगा।
इसलिए ऐसा मौसम
आईएमडी, भोपाल की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि गुरुवार को मानसून ट्रफ एमपी के ऊपर रही। वेस्ट बंगाल में एक्टिव साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम एमपी की ओर आने लगा। एक और साइक्लोनिक सर्कुलेशन नॉर्थ-ईस्ट राजस्थान के ऊपर है। दो अन्य सिस्टम भी एक्टिव हैं। इस वजह से प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहा।
2 अगस्त से सिस्टम की स्ट्रॉन्ग एक्टिविटी देखने को मिलेगी। इसलिए बारिश का दौर चलेगा। कहीं भारी से भारी और कहीं भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
जून-जुलाई में कोटे से ज्यादा पानी गिरा
इस बार प्रदेश में मानसून 21 जून को एक्टिव हुआ। इसे 40 दिन से ज्यादा हो गए। जून – जुलाई में मानसून की आधी से ज्यादा बारिश हो चुकी है। अब तक की बारिश का कोटा भी पूरा हो गया। मौसम विभाग के अनुसार, अब तक औसत 18.1 इंच बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 19.7 इंच पानी गिर गया। इस तरह 1.6 इंच बारिश ज्यादा हुई है। यह 9% अधिक है।
बारिश में सिवनी अव्वल, 10.80 इंच पानी ज्यादा गिरा
प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश सिवनी जिले में 32 इंच हो गई। यह कोटे की बारिश की 10.80 इंच ज्यादा है। मंडला, नर्मदापुरम, भोपाल, रायसेन और छिंदवाड़ा ऐसे जिले हैं, जहां बारिश का आंकड़ा 25 इंच या इससे ज्यादा है। रीवा सबसे पिछड़ा जिला है। यहां 8 इंच बारिश ही हुई है। अब तक प्रदेश में ओवरऑल 9% बारिश ज्यादा हो चुकी है। इसमें पूर्वी हिस्से में 2% और पश्चिमी हिस्से में 15% ज्यादा पानी गिरा है।
मंडला में नर्मदा खतरे के निशान के करीब
उधर, मंडला में नर्मदा नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है। रामनगर और छोटा पुल डूब गया है।
नदी का जलस्तर 437.30 मीटर पर पहुंच गया, जबकि खतरे का निशान 437.80 मीटर है।
वहीं जिले की बुढ़नेर नदी में आई बाढ़ में एक महिला फंस गई थी। एसडीईआरएफ ने उसका रेस्क्यू किया।
एमपी में स्ट्रॉन्ग सिस्टम, अगले 4 दिन चलेगा बारिश दौर
अगस्त के पहले ही दिन से मध्य प्रदेश में स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव हो गया है, जो अगले 4 दिन तक बना रहेगा। मध्यप्रदेश में सीजन की 51% यानी 18.9 इंच बारिश हो चुकी है।
जुलाई में कोटे से ज्यादा पानी पड़ चुका है। अगस्त में भी ऐसे ही आसार बन रहे हैं।
केदारनाथ में फंसे एमपी के 51 लोग एयरलिफ्ट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि चारधाम की यात्रा के दौरान केदारनाथ में फंसे मध्यप्रदेश के 61 यात्रियों में से 51 को गुरुवार को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित रुद्रप्रयाग पहुंचाया गया है।
शेष 10 यात्री केदारनाथ में ही सुरक्षित स्थान पर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, शिवपुरी के बदरवास क्षेत्र के कुल 61 लोग एक बस और चार पहिया वाहन लेकर केदारनाथ दर्शन के लिए गए थे,
जो भूस्खलन के कारण वहां फंस गए। राज्य सरकार ने उत्तराखंड सरकार से संपर्क कर उन्हें एयरलिफ्ट कराया। राज्य सरकार उत्तराखंड सरकार के सतत संपर्क में है।
रायसेन में सबसे ज्यादा 2.4 इंच वर्षा
एक दिन पहले रायसेन में सबसे ज्यादा 2.4 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई। सीधी में 1.9 इंच, भोपाल में 1.6 इंच, नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी में 1.4 इंच, सतना में 1.7 इंच, टीकमगढ़ में 1 इंच बारिश हुई।
धार, उमरिया, मलाजखंड, रतलाम, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, दमोह, जबलपुर, खजुराहो, मंडला, रीवा, सागर, सिवनी, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, इंदौर, खंडवा में भी कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश दर्ज की (MP Weather Update) गई।
बारिश कराने वाले सिस्टम एक्टिव
मौसम विभाग अनुसार अभी मानसून ट्रफ प्रदेश से थोड़ी ऊपर है। साइक्लोनिक सर्कुलेशन अरब सागर की ओर है।
एक अन्य साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी एक्टिव है। अब इनकी स्ट्रॉन्ग एक्टिविटी से झमाझम बारिश हो रही है।
इसलिए अगले 4 दिन के लिए प्रदेश में कहीं भारी तो कहीं हल्की बारिश का अनुमान है।
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अब तक प्रदेश में सबसे ज्यादा सिवनी में बारिश
प्रदेश में 21 जून को मानसून ने दस्तक दी थी। इसे 40 दिन बीत चुके हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश सिवनी में 31.74 इंच हुई। रीवा में आंकड़ा 8 इंच तक भी नहीं पहुंचा है।
अब जो सिस्टम एक्टिव हो रहा है, उसका असर पूर्वी हिस्से- जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा संभाग में ज्यादा देखने को मिलेगा। इसलिए जहां कम बारिश हुई है वहां आंकड़ा बढ़ेगा।
अब तक प्रदेश में ओवरऑल 7% बारिश ज्यादा हो चुकी है। इसमें पूर्वी हिस्से में 1% और पश्चिमी हिस्से में 14% ज्यादा पानी गिरा है।