रायपुर
बीते नौ वर्षों से रायपुर विमानतल में खड़े यूनाइटेड एयरवेज बांग्लादेश के एमडी- 83 विमान का पार्किंग शुल्क करीब चार करोड़ रुपये पहुंच चुका है। रायपुर विमानतल अथॉरिटी ने इन नौ वर्षों में बांग्लादेशी एयरलाइंस को 90 से अधिक बार पत्र व ईमेल प्रेषित कर विमान हटाने और पार्किंग शुल्क चुकाने को कहा है, लेकिन एयरलाइंस ने न तो शुल्क चुकाया है और न ही विमान को वापस ले गई है।
ठंडे बस्ते में है नीलामी की तैयारी
पिछले दिनों रायपुर विमानतल अथॉरिटी ने विमान की नीलामी की तैयारी के लिए कानूनी सलाह भी ली थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। विमान पार्क रहने से रायपुर एयरपोर्ट के नौ में से एक पार्किंग नौ वर्षों से आरक्षित ही है। विमानतल के निदेशक एसडी शर्मा ने कहा कि रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जा चुकी है। अब वहीं से निर्णय लिया जाएगा।
अगस्त 2015 से पार्क है विमान
बता दें कि सात अगस्त 2015 को 173 यात्रियों को लेकर ढाका से मस्कट जाते समय विमान का इंजन खराब हो गया था। विमान ने रायपुर के विवेकानंद एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग की थी, तब से विमान यहां खड़ा है।
बांग्लादेशी कंपनी से नहीं आया कोई जवाब :
इस बांग्लादेशी फ्लाइट को यहां से ले जाने के संबंध में रायपुर विमानतल अथारिटी द्वारा बीते नौ वर्षों में बांग्लादेशी कंपनी को 90 से अधिक बार पत्र व ईमेल किए जा चुके है। लेकिन अभी तक कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इसके चलते आगे की कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। 2015 को ढाका से मस्कट जा रहे बांग्लादेश के यूनाइटेड एयरवेज के विमान (एमडी-83) की रायपुर एयरपोर्ट में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी. तब से ही यह विमान रायपुर एयरपोर्ट पर ही खड़ा हुआ है। इस विमान की कीमत 200 करोड़ से ज्यादा बताई गई है।
वर्ष 2019 में बांग्लादेशी कंपनी के विशेषज्ञ रायपुर पहुंचे थे और उस दौरान ही इस विमान को 300 मीटर खिसकाया गया था। विशेषज्ञों ने उस दौरान कहा था कि जल्द ही इस विमान को ले जाया जाएगा,ले किन उस दिन के बाद से कंपनी का न कोई अधिकारी आया और न ही इस विमान को ले जाने की कोशिश हुई। बाद में जानकारी आई संचालनकर्ता कंपनी बंद हो गई है, जिसके बाद यह रायपुर एअरपोर्ट ऑथोरिटी के लिये जी का जंजाल बना हुआ है।
क्यों अब तक विमान नहीं बेच सका एयरपोर्ट प्रबंधन
जानकारों की माने तो रायपुर विमानतल में खड़े बांग्लादेश के इस विमान का पार्किंग का किराया आज 3 करोड़ तक पहुंच चुका है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिरकार विमान को क्यों बेचा जा नहीं सका। इसके पीछे की वजह यह सामने निकलकर आई है कि बांग्लादेश का यह बड़ा एयरक्रॉफ्ट पूरी तरह कबाड़ हो चुका है। इसके दोबारा इस्तेमाल करने की कोई गुंजाईश नहीं बची है। इसलिए रकम की वसूली के लिए इसकी नीलामी ही एकमात्र रास्ता है। वहीं अधिकारियों का इस मसले पर कहना है कि एयरक्रॉफ्ट दूसरे देश की एयरलाइंस का है, इसलिए बिना एयरलाइंस की अनुमति के इसे बेचा नहीं जा सकता है। इस मामले में उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है, मगर उनकी ओर से किसी तरह का संतोषजनक जवाब नहीं आ रहा है। इसको लेकर कानूनी प्रक्रिया भी की जा रही है। माना जा रहा है कि जल्द इसकी नीलामी की जाएगी।