नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि सहारा समूह के जिन निवेशकों के पास काग़ज़ात पूरे हैं उन्हें पैसे वापस करने में कोई बाधा नहीं है।
सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि सरकार तो हाथ जोड़कर खड़ी है कि आइए सारे कागजात लाइए और अपने पैसे ले जाइए। लेकिन कोई आ नहीं रहा है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप बाहर जाकर यह न कहें कि सरकार पैसा नहीं दे रही है। सरकार तो पूरी तरह से तैयार है। इस मामले की शीर्ष न्यायालय निगरानी कर रही है।
138 करोड़ रुपये जारी किए गएः वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि 138.07 करोड़ रुपये क्लेम किए गए थे जो जारी कर दिए गए हैं. 25781 करोड़ पूरा वितरित नहीं किया जाना है. उन्होंने बताया कि सहारा इंडिया की 18 संपत्तियां अटैच की गई हैं. कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री बनाए जाने के बाद क्लेम देने के लिए फंड की मांग की. इसमें 1.21 करोड़ क्लेम आए. 374 करोड़ रुपये क्लेम के रिलीज कर दिए गए हैं. जस्टिस सुभाष रेड्डी कमेटी इस मामले की निगरानी कर रही है. पर्ल एग्रो कोऑपरेटिव में 1.25 करोड़ क्लेम आए. इनमें रिफंड्स 1021 करोड़ रुपये के क्लेम दे दिए गए हैं. जस्टिस लोढ़ा इसकी निगरानी कर रहे हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि जो भी लोग हैं वो ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर क्लेम करें. तीन जजों की कमेटी देखेगी और क्लेम जारी किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर्ड जज इसकी निगरानी कर रहे हैं.
सीकर सांसद ने उठाए थे सवाल
राजस्थान के सीकर से सांसद अमरा राम ने सदन में सवाल किया था कि सहारा और पीएचसीएल में अब तक कितने निवेश हुए थे और कितना पैसा रिफंड किया गया है. उन्होंने पूछा था कि 15 हजार करोड़ से ज्यादा जमा होने के बाद भी 138 करोड़ ही क्यों लौटाए गए. इस पर पंकज चौधरी ने सेबी के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 17 हजार के करीब लोगों ने ही आवेदन किया. इसमें 138 करोड़ रुपये दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोर्ट में जाकर खुद लोगों से क्लेम करने की अपील की है.
वहीं, मध्य प्रदेश के सतना से बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने कहा कि सहारा और पीसीएल में निवेश करने वालों की संख्या लाखों में है. सभी लोगों को अभी पैसा नहीं मिला. कुछ लोगों के पास तो कागजात भी नहीं है. पोर्टल में यह तभी मान्य होगा जब पेपर हो. एजेंट्स के माध्यम से जिन लोगों ने निवेश किया है, क्या सरकार उनके लिए कोई मैकेनिज्म डेवलप करेगी.
इसपर वित्त मंत्री ने कहा कि निर्णय जजों की कमेटी ही करेगी, हम इस सुझाव को उनके साथ शेयर कर सकते हैं. पर्ल कंपनी की 50 हजार करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी कुर्क करके निवेशकों के पैसे वापस करने को लेकर भी सवाल हुआ. इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि 1017 करोड़ पर्ल एग्रो से रिकवर किए गए हैं. लिटिगेशन की वजह से कई प्रॉपर्टी का ऑक्शन नहीं किया जा सकता. एम्बी वैली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पेपर होने के आधार पर ही हम ऑक्शन नहीं कर सकते. प्रॉपर्टी को ऑक्शन करके देना होगा, निश्चित रूप से देंगे. जो पैसा हमारे हाथ में है, उसी को लेने वाले आएं पहले. हम भी चाहते हैं आपकी चिंता में शामिल होंगे.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमरा राम ने पूछा था कि सहारा ग्रुप में निवेश करने वाले कितने लोगों को पैसा वापस किया और कितना किया? इसका शुरू में जवाब वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया। पंकज चौधरी ने सेबी के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 17 हजार के करीब लोगों ने ही आवेदन किया। इसमें 138 करोड़ रुपये दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अदालत में जाकर खुद लोगों से क्लेम करने की अपील की है। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर अमरा राम ने फिर से सवाल पूछ लिया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “अदालत में जाइए। अदालत में पूछिए हम भी इंतजार में खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट हमें सुपरवाइज कर रहा है। हमारे ऊपर हाथ उठाने का कोई फायदा नहीं है।”
उन्होंने कहा , “यह अदालत के जरिए होने वाला है। हम सरकार के स्तर पर निर्णय नहीं कर सकते हैं। कोई सदस्य गलत फहमी न फैलाए। कोई सदस्य बाहर जाकर यह न बोले कि सरकार पैसे नहीं दे रही है। सरकार हाथ जोड़कर बुला रही है कि लोग कागजात के साथ आएं। हम पैसा देने के लिए तैयार हैं। आप भी ले आइए, हम दें देंगे।
वित्त राज्य मंत्री ने कहा- सरकार की मंशा सही
सांसद अमरा राम के सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को आदेश दिया था कि 3.7 करोड़ निवेशकों की करीब 26 हजार करोड़ रुपये की रकम 15 फीसदी ब्याज के साथ वापस की जाए। बाद ने सेबी ने सहारा इंडिया का अकाउंट खोला जिसमें से 15775 करोड़ रुपये वसूले गए। इसके बाद निवेशकों की रकम वापस करने के लिए कोर्ट की तरफ से एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने विज्ञापन दिया जिसमें कहा गया था कि निवेशक आएं और अपनी रकम ले जाएं। इसके लिए निवेशकों के आवेदन मंगाए गए थे। पंकज चौकरी ने कहा कि इसके तहत सिर्फ 17526 निवेशकों ने आवेदन किया जिन्हें 138 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा निवेशकों की रकम वापस देने की है।
बाद में नहीं आए आवेदन
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि बार-बार विज्ञापन देने के बाद भी निवेशकों के अपनी रकम वापस लेने के लिए आवेदन नहीं आए। बाद में सेबी राय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट में सेबी ने कहा कि 15775 करोड़ रुपये में से जो रकम निवेशकों को वापस नहीं हुई है, वह सहारा ग्रुप की को-ऑपरेटिव कंपनी में ट्रांसफर कर दी जाए। इस रकम में से कोर्ट ने 5 हजार करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी।