ढाका
बांग्लादेश इस समय बड़ी अशांति के दौर से गुजर रहा है। दो सप्ताह से चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। हालात इतने खराब हो गए कि शेख हसीना को आनन-फानन में देश छोड़कर भागना पड़ा। सोमवार देर शाम वह भारत पहुंची, जहां उन्हें सुरक्षित जगह पर रखा गया है। यहां से उनके आगे लंदन जाने की संभावना है। लेकिन क्या शेख हसीना को अमेरिका के विरोध के चलते बांग्लादेश की प्रधानमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ी। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि दो महीने पहले मई में शेख हसीना ने खुलकर कहा था कि उनके ऊपर विदेश से दबाव बनाया जा रहा है।
मई में शेख हसीना ने दावा किया कि एक देश ने उन्हें प्रस्ताव दिया था कि अगर वह बांग्लादेश के इलाके में एयरबेस बनाने की अनुमति देती हैं तो उन्हें बिना किसी परेशानी के दोबारा चुनाव जीतने दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने देश का नाम नहीं बताया था, लेकिन ये माना गया था कि यह अमेरिका था। हसीना ने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों को काटकर पूर्वी तिमोर जैसा एक ईसाई देश बनाने की साजिश चल रही है।
ईसाई देश बनाने का प्लान
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास गोनोभवन में सहयोगी पार्टियों की बैठक में संबोधन देते हुए हसीना ने कहा था कि 'पूर्वी तिमोर की तरह वे बांग्लादेश (चटगांव) और म्यांमार के कुछ हिस्सों को लेकर एक ईसाई देश बनाएंगे और बंगाल की खाड़ी में एक बेस बनाएंगे।' हसीना ने कहा कि 'कई लोगों की नजर इस जगह पर है। यहां कोई विवाद नहीं है, कोई संघर्ष नहीं है। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।' उन्होंने यह भी दावा किया यह सिर्फ एक देश के लिए नहीं है। 'मुझे पता है कि वे और कहां जाना चाहते हैं।'
अमेरिकी प्लान हो गया कामयाब?
शेख हसीना ने कहा था कि प्रस्ताव ठुकराने की वजह से ही अवामी लीग की सरकार मुश्किल में रहती है। उन्होंने दावा किया था कि और भी मुश्किलें आएंगी, लेकिन चिंता की कोई जरूरत नहीं है। 'अगर मैंने एक खास देश को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने की अनुमति दी होती, तो मुझे कोई समस्या नहीं होती।' इस बयान के दो महीने के बाद ही शेख हसीना को बांग्लादेश की सत्ता छोड़नी पड़ी है। सुरक्षा विशेषज्ञ एफजे ने दावा किया है कि अमेरिकी बेस अब भारत के पड़ोस में बनने जा रहा है।
अमेरिका ने की बांग्लादेश की सेना की तारीफ
अमेरिका ने बांग्लादेश में बदलाव का स्वागत करते हुए सेना की तारीफ की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत करते है। उन्होंने अंतरिम सरकार को लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने का आग्रह किया। इसके साथ ही मिलर ने कहा कि आज सेना ने जो संयम दिखाया हम उसकी सराहना करते हैं।